वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जिसको लेकर कांग्रेस का कहना है कि इसमें कई क्षेत्रों में धन के आवंटन में कटौती की गई है.
छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने कहा कि यह देश के सभी नागरिकों के सपने को पूरा करने वाला है. सीएम साय ने कहा, ” मैं छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ जनता की तरफ से पीएम मोदी, निर्मला सीतारमण और उनकी टीम को बधाई देता हूं. केवल बीजेपी सरकार ऐसा बजट पेश कर सकती है. इस बजट ने पीएम मोदी के वादे को पूरा किया है.”
विष्णु देव साय ने कहा कि मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी गई है. कांग्रेस के शासन में दो लाख रुपये की आय पर भी टैक्स देना पड़ता था लेकिन टैक्स में राहत को 12 लाख तक बढ़ा दिया गया है. यह मध्यम वर्ग को राहत पहुंचाएगा. लोगों की क्रय की क्षमता बढ़ेगी और राज्य एवं देश को वित्तीय फायदा होगा. यह बजट किसानों के लिए भी वरदान साबित होगा.
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने केंद्रीय बजट को अव्यवहारिक करार दिया. भूपेश बघेल ने कहा कि इस बजट में मध्यम वर्ग, गरीब और किसान के लिए कुछ नहीं है. आधारभूत संरचनाओं के लिए कुछ भी नहीं कहा गया है ऐसे में बेरोजगार युवाओं को कहां से रोजगार मिलेगा.
समाचार एजेंसी एएनआई से बतचीत में भूपेश बघेल ने कहा, ”वैसे भी रुपये का अवमूल्यन हो चुका है. 86 रुपया के पार हो चुका है. अंतर बढ़ाए हैं तो कुछ होने वाला नहीं है. किसी को फर्क पड़ने नहीं वाला है. मिडल क्लास, गरीब और किसान है उसके लिए बजट में कुछ नहीं है. तीसरी बात यह है कि बाजार बजट प्रस्तुत होने के बाद गिर कर बैठ गया है. लोग पैसे पहले ही बाजार से निकाल रहे थे और इससे प्रभाव पड़ेगा.”
राजस्व घाटा कैसे कम होगा, बताया नहीं – भूपेश बघेल
भूपेश बघेल ने कहा, ”बजट में आधारभूरत संरचनाओं के लिए कुछ नहीं है. जिससे लोगों को रोजगार मिले. रोजगार भी नहीं मिलना है. इंफ्रास्ट्रक्टर में कुछ नहीं होना है. जनता के लिए कुछ नहीं है जो कहा गया है कि यह अव्यवहारिक बजट है. राजस्व घाटा कम कैसे होगा वह नहीं बताया. सब कुछ मुंगेरीलाल के हसीन संपने जैसा है. यह लोकलुभावना है. जीएसटी, टैक्स इतने बड़ गए हैं कि आम उपभोक्ता त्राहि त्राहि कर रही है. उनकी राहत के लिए कुछ नहीं किया गया है. नौजवान के पास कोई काम नहीं है आधारभूत संरचना की बात नहीं है तो उन्हें काम नहीं मिला.”
कांग्रेस की ओर से बजट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया है कि इसमें शिक्षा, ग्रामीण विकास और सूचना एवं दूरसंचार के फंड आवंटन में पिछले साल के मुकाबले कटौती कर दी गई है.