क्या भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा अमेरिका? राष्ट्रपति पद छोड़ने से पहले बाइडेन ने किया बड़ा खेल

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तीन भारतीय न्यूक्लियर संस्थाओं पर से प्रतिबंधों को हटा दिया है. यह यूएस-इंडिया सिविल न्यूक्लियर डील के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

भारत के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने के लिए अमेरिका ने एक बड़ा फैसला लिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति पद छोड़ने के ठीक पहले जो बाइडेन ने बुधवार (15 जनवरी) को भारत के तीन प्रमुख परमाणु संस्थाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटा दिया है. बाइडेन के इस फैसले से दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लिर सहयोग में आने वाली बाधा दूर हो गई. हालांकि इन संस्थाओं पर प्रतिबंध हटाने के समय खासी चर्चा हो रही है. क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने रूस के तेल पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिसका सीधा प्रभाव भारत पर पड़ेगा.

अब सवाल यह उठता है कि क्या अमेरिका भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है? क्योंकि भारत अभी तक रूस से बड़े पैमाने पर न्यूक्लियर ईंधन (यूरेनियम) खरीदता है और ऐसे में भारत पर से प्रतिबंध हटाने का मतलब है कि अमेरिका चाहता है कि भारत उससे भी ऐसी ही डील करे. यूएस ब्यूरो ऑफ इंड्स्ट्री एंड सिक्योरिटी की ओर से घोषित इन फैसले को भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.

इन भारतीय संस्थानों पर से अमेरिका ने हटाया प्रतिबंध

अमेरिका ने भारत के जिन तीन परमाणु संस्थाओं पर से प्रतिबंध हटाया, उनमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ्स (IRE) शामिल हैं. अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने कार्यकाल के खत्म होने से ठीक पहले भारत को लेकर यह बड़ा फैसला किया है.

बता दें कि पिछले साल यानी 2024 में भारत और रूस के बीच लंबे समय के लिए यूरेनियम सप्लाई से जुड़ी वार्ता चल रही थी. वहीं, वर्तमान में भारत अपने न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, फ्रांस और कनाडा से यूरेनियम खरीदता है. अमेरिका के नए प्रतिबंध से भारत पर होगा असर

भारतीय संस्थाओं पर से प्रतिबंध हटाने के पीछे अमेरिका का मकसद साफ दिखाई दे रहा है. दरअसल, अमेरिका चाहता है कि भारत के साथ न्यूक्लियर क्षेत्र में भी सहयोग किया जाए, जिसे लेकर यह प्रतिबंध हटाए गए हैं. लेकिन इसके साथ ही ऐसे प्रतिबंध लगाए हैं जो रूस से भारत आ रहे कच्चे तेल की आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं.

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