
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सारंगढ़ उपजेल में कैदी से मारपीट और अवैध गतिविधियों से जुड़े मामले की सुनवाई लगातार जारी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इसमें प्रदेश सरकार को जेलकर्मियों पर की गई कार्रवाई को लेकर जवाब प्रस्तुत करना था। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अब तक 10 लोगों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी।
महाधिवक्ता ने बताया कि एक दोषी कर्मचारी को दंडित किया गया है। तीन मामलों में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। तीन मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जबकि तीन मामलों में अभी जांच जारी है।
हाई कोर्ट ने इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि 3 अप्रैल 2025 तक नया शपथपत्र दाखिल किया जाए। इसमें अब तक की गई जांच और उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी हो।
जांच की प्रगति पर हाई कोर्ट की सख्ती
पिछली सुनवाई में अदालत को बताया गया था कि जांच की जिम्मेदारी दो अधिकारियों को सौंपी गई है। पहले 10 आरोपित जेलकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जिनमें से तीन को जांच से बरी कर दिया गया, जबकि अन्य मामलों की जांच अभी भी जारी है।
हाई कोर्ट इस पूरे मामले में सख्त रुख अपनाए हुए है और सरकार से नियमित रूप से जांच की स्थिति पर रिपोर्ट मांगकर निगरानी कर रहा है। अदालत ने एक बार फिर राज्य सरकार को 3 अप्रैल तक नया शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है, ताकि जांच की प्रगति और दोषियों पर की गई कार्रवाई स्पष्ट हो सके।
कैदी से वसूली के लिए की गई थी मारपीट
गौरतलब है कि सारंगढ़ उपजेल में वसूली के लिए कैदी को टार्चर किए जाने का मामला सामने आया था। इस घटना को गंभीर मानते हुए हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई शुरू की।
इस केस में हस्तक्षेप याचिकाकर्ता दीपक चौहान और दिनेश चौहान ने अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला के माध्यम से अपना पक्ष अदालत में रखा। वहीं, पुलिस महानिदेशक (जेल) को भी शपथपत्र प्रस्तुत कर जवाब देने का निर्देश दिया है।