‘कांग्रेस देश में बड़ी पार्टी है, लेकिन आम आदमी पार्टी…’, दिल्ली चुनाव को लेकर संजय राउत ने जताया दुख

संजय राउत ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लोकसभा एक साथ लड़े, दिल्ली विधानसभा चुनाव है. वहां कोई भी जीते सरकार तो एलजी, अमित शाह या पीएम नरेंद्र मोदी चलाएंगे. दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग मैदान में है. इसे लेकर शिवसेना-यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ‘आप’ और कांग्रेस दोनों इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं. फैसला लेना आसान नहीं है. हमने बार-बार कहा है कि कांग्रेस देश में बड़ी पार्टी है, लेकिन ‘आप’ दिल्ली में बड़ी पार्टी है. दिल्ली में ‘आप’ की ताकत सबसे ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि माहौल ये है कि दिल्ली में ‘आप’ अच्छे मार्जिन से चुनाव जीत रही है. हमारी पार्टी को दुख है कि कांग्रेस और ‘आप’ इंडिया ब्लॉक के सदस्य हैं. कांग्रेस तो नेतृत्व कर रही है, लेकिन अरविंद केजरीवाल जैसे नेता को देशद्रोही कहना, ऐसा कैंपेन करना, इससे हम सहमत नहीं हैं. संजय राउत ने कहा कि चुनाव आप एक-दूसरे के खिलाफ लड़ सकते हो, लड़ना भी चाहिए. लोकसभा एक साथ लड़े, दिल्ली विधानसभा चुनाव है. वहां कोई भी जीते सरकार तो एलजी, अमित शाह या पीएम नरेंद्र मोदी चलाएंगे. ये लोग किसी को काम नहीं करने देंगे. बीजेपी और कांग्रेस वहां नहीं जीतेगी. कांग्रेस ठीक तरह से चुनाव लड़ रही है.

शिवसेना-यूबीटी सांसद ने कहा कि कांग्रेस और ‘आप’ एकसाथ लड़ते तो हमारे जैसे लोगों को खुशी होती. महाराष्ट्र में और लोकसभा में हम कांग्रेस के साथ थे. ‘आप’ भी हमारी साथी है. प्रचार में दोनों को बैलेंस रखना चाहिए. हमारी जैसी बहुत-सी पार्टियां संकट में हैं कि दिल्ली में क्या करें. दोनों के साथ हमारा रिश्ता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक लोकसभा के लिए बनाया गया था, हर चुनाव में इसे शामिल न करें, सबसे शक्तिशाली गठबंधन लोकसभा के लिए बनाया गया था. इंडिया गठबंधन लोकसभा के लिए फिर से एक होगा. सभी विपक्ष को एक साथ आकर एनडीए के खिलाफ लड़ना जरूरी है, वरना अमित शाह और नरेंद्र मोदी विपक्ष को खा जाएंगे. वहीं एनसीपी वाले मामले पर कहा कि अजित पवार और सुनील तटकरे को सब कुछ शरद पवार की वजह से मिला है. शरद पवार की वजह से बाजार में उनकी कीमत बढ़ी है. यह भाषा उचित नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता कि दिल्ली विधानसभा और बीएमसी चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं पर छोड़ देना चाहिए.

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