कैबिनेट द्वारा मंजूर नियमावली के तहत विवाह और तलाक से जुड़े प्रमाणपत्र, लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, वसीयत और उत्तराधिकार संबंधी प्रावधानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित किया जाएगा. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 20 जनवरी 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में यूसीसी नियमावली को मंजूरी दे दी गई. इस ऐतिहासिक कदम के तहत विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, वसीयत, उत्तराधिकार सहित तमाम मामलों में एक समान कानून लागू होगा. मुख्यमंत्री धामी ने इसे प्रदेश की जनता से किया गया वादा पूरा होने की दिशा में अहम कदम बताया. जानकारों की माने तो 26 जनवरी को इसे लागू करने की घोषणा हो सकती है. कैबिनेट द्वारा मंजूर नियमावली के तहत विवाह और तलाक से जुड़े प्रमाणपत्र, लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, वसीयत और उत्तराधिकार संबंधी प्रावधानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित किया जाएगा. इसके अलावा, उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों तक इन सेवाओं को पहुंचाने के लिए जनसेवा केंद्रों (सीएससी) की मदद ली जाएगी.
क्या बोले सीएम धामी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी. यह हमारी सरकार का जनता से किया गया वादा था, जिसे हम निभा रहे हैं.” यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए अत्याधुनिक तकनीक आधारित व्यवस्थाएं लागू की गई हैं. ऑनलाइन पोर्टल का विकास किया गया है, जिसमें आधार आधारित सत्यापन, 22 भारतीय भाषाओं में एआई अनुवाद, और 13 से अधिक विभागों के डाटा समन्वय की सुविधा होगी.
सरकार ने त्वरित सेवाओं के लिए अलग शुल्क तय किया है. सहवासी संबंधों (लिव-इन रिलेशनशिप) के पंजीकरण और समाप्ति प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है. इसमें एक पक्ष द्वारा समाप्ति आवेदन पर दूसरे पक्ष की पुष्टि अनिवार्य होगी. यूसीसी नियमावली के तहत 26 मार्च 2010 के बाद हर दंपती के लिए विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य होगा. नियमों का पालन न करने पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
इन नियमों का रखना होगा ध्यान
विवाह के लिए लड़के की आयु न्यूनतम 21 और लड़की की 18 वर्ष निर्धारित की गई है. तलाक के मामलों में महिलाएं भी पुरुषों के समान अधिकारों और कारणों का हवाला देकर तलाक ले सकेंगी. हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई जाएगी. लिव-इन में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा. इन युगलों को पंजीकरण रसीद से ही किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी लेने की अनुमति होगी. लिव-इन में जन्मे बच्चों को जैविक संतान का दर्जा मिलेगा और उन्हें समान अधिकार प्राप्त होंगे.
उत्तराधिकार संबंधी प्रावधानों में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार दिए जाएंगे. वसीयत के पंजीकरण, संशोधन, रद्दीकरण और पुनर्जीवन की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा. यूसीसी को लेकर सरकार ने मॉक ड्रिल की योजना बनाई है. 21 जनवरी को प्रदेशभर में पहली बार वेब पोर्टल का उपयोग किया जाएगा. इस दौरान रजिस्ट्रार, सब-रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारी पोर्टल पर लॉगइन कर विवाह, तलाक और अन्य सेवाओं का अभ्यास करेंगे. मॉक ड्रिल के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यूसीसी लागू होने के बाद आम जनता को कोई तकनीकी परेशानी न हो.