Rajnath Singh Messaget To US: ‘खुलेआम नियमों का उल्लंघन…’, राजनाथ सिंह की पाकिस्तान और अमेरिका को खरी-खरी

रक्षा मंत्री ने कहा कि “इन सबके बीच, भारत पुरानी अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मज़बूती से कायम रखने में मजबूती से खड़ा है.” अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देशों पर अपरोक्ष हमला बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत बताते हुए साफ तौर से कहा है कि भारत वैश्विक शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों को कायम रखने में विश्वास करता है.

मंगलवार (14 अक्तूबर 2025) को राजधानी दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनपीकेएफ) में हिस्सा लेने वाले देशों के आर्मी चीफ कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “आजकल, कुछ देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, कुछ उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अपने नियम बनाकर अगली सदी पर अपना दबदबा बनाना चाहते हैं.”

राजनाथ सिंह बोले- मजबूती से खड़ा है भारत

रक्षा मंत्री ने कहा कि “इन सबके बीच, भारत पुरानी अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मज़बूती से कायम रखने में मजबूती से खड़ा है.” भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस चीफ कॉन्कलेव में 30 से ज्यादा देशों के सेना प्रमुख और टॉप मिलिट्री कमांडर हिस्सा ले रहे हैं. राजनाथ सिंह के संबोधन के वक्त, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और यूएनपीकेएफ के अंडर सेक्रेटरी जीन पेयरे लैसेकोस भी मौजूद थे.

‘शांति स्थापना भारत के लिए आस्था का विषय’

राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत के लिए, शांति स्थापना कभी भी एक विकल्प का कार्य नहीं रहा है, बल्कि एक आस्था का विषय रहा है. अपनी स्वतंत्रता के आरंभ से ही भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने मिशन में संयुक्त राष्ट्र के साथ दृढ़ता से खड़ा रहा है.” आजादी (1947) के बाद से भारत के करीब तीन लाख सैनिक, यूएन पीसकीपिंग फोर्स का हिस्सा रह चुके हैं और 180 वीरगति को प्राप्त हुए हैं. ऐसे में रक्षा मंत्री ने कहा कि “भारत के लिए, यह (सम्मेलन) सिर्फ़ बातचीत का विषय नहीं है, हजारों भारतीय, संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति और विकास के लिए काम करते हैं. यह एक प्रमुख उदाहरण है जो भारत के वादों को प्रदर्शन के साथ जोड़ने के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.”

थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी बोले- ‘ग्लोबल ऑर्डर अस्थिर’

इस मौके पर बोलते हुए थलसेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने बताया कि इस वक्त ग्लोबल आर्डर बेहद अस्थिर है, क्योंकि पूरी दुनिया में 56 यु्द्ध (और गृह युद्ध) चल रहे हैं, जिनसे करीब 90 देश जूझ रहे हैं. आर्मी चीफ ने बताया कि डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी, नॉन स्टेट एक्टर्स (सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद), हाइब्रिड वॉरफेयर और डिस-इन्फॉर्मेशन के चलते जंग के पारंपरिक तौर तरीके बदल गए हैं. जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऐसे में यूएन कीपिंग फोर्स ही वैश्विक शांति लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

असरदार बनें संयुक्त राष्ट्र- फिजी सेना प्रमुख

राजनाथ सिंह और जनरल द्विवेदी की तरह ही फिजी के सेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मनाओ डी गदाई ने भी संयुक्त राष्ट्र को असरदार बनाने पर जोर देते हुए कहा कि यूएनपीकेएफ के ग्राउंड ऑपरेशन्स पर राजनीति हावी नहीं होनी चाहिए. गाजा में शांति बहाली का जिक्र करते हुए जनरल गदाओ ने कहा कि लेबनान (गोलन हाइट्स) में तैनात शांति सेना के अनुभव से सीख लेनी चाहिए ताकि यूएनपीकेएफ को असरदार बनाया जा सके.

फिजी के आर्मी चीफ ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में संयुक्त राष्ट्र की अक्षमता और अमेरिका के टैरिफ के चलते हथियारों की खरीद में आ रही चुनौतियों का भी खुलासा किया. ब्रिगेडियर जनरल ने बताया कि लेबनान में तैनात होने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में शामिल देशों की सेनाएं, इजरायल जैसे देशों से हथियार नहीं खरीद पाते हैं (जबकि इजरायल, लेबनान से सटा देश है).


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