PM मोदी पर शशि थरूर के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, याचिकाकर्ता के वकील से कहा- ‘कोर्ट का वक्त बर्बाद न करें’

सुप्रीम कोर्ट ने शशि थरूर के खिलाफ मानहानि मामले में अदालत का समय बर्बाद न करने की बात कही. थरूर ने 2018 में पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि केस को लेकर मंगलवार (22 जुलाई, 2025) को स्पष्ट रूप से कहा कि अदालत का वक्त ऐसे मामलों में बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. यह मामला थरूर के 2018 के उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच ने दी, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस बी.आर. गवई कर रहे थे.

क्या कहा कोर्ट ने?

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच थरूर की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ दिल्ली की अदालत में चल रही मानहानि की कार्यवाही रद्द करने की मांग की है. बीजेपी नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर केस पर जब कोर्ट में चर्चा हुई तो बब्बर के वकील ने बताया कि उन्होंने अपना जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन बेंच इससे प्रभावित नहीं दिखी.कोर्ट ने कहा, “आप ज्यादा जरूरी मामलों पर ध्यान दें. अदालत को इस तरह की बातों में क्यों उलझाते हैं?” बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि वह शशि थरूर के मामले की सुनवाई अगले सप्ताह करेगी. इसी के साथ आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ दायर एक और मानहानि केस पर भी सुनवाई होगी.

जब राजीव बब्बर के वकील ने दोनों मामलों को अलग-अलग लिस्ट करने की मांग की तो कोर्ट ने सख्ती से कहा, “हमें यह मत बताइए कि क्या सुनना है और कैसे आदेश देना है.”

क्या था मामला?

दरअसल, नवंबर 2018 में शशि थरूर ने एक कार्यक्रम में पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था. उस टिप्पणी पर बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने धार्मिक भावनाएं आहत करने और प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए मानहानि का केस दर्ज कराया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी क्या कहा था?

अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली थरूर की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें केस रद्द करने से इनकार किया गया था. उस समय कोर्ट ने कहा था, “कई बार एक रूपक (metaphor) सच्चाई को कम शब्दों में बयान कर देता है. जैसे एक तस्वीर हजार शब्दों से ज्यादा बोलती है, वैसे ही एक रूपक भी होता है. पता नहीं लोग इससे क्यों आहत हो गए.” तब से सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जिससे शशि थरूर को पेशी से राहत मिली थी. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते करेगा.

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