
बिहार चुनाव 2025 में NDA ने 15 जिलों की सभी सीटों पर जीत दर्ज कर महागठबंधन का खाता बंद कर दिया. जानें—कौन-कौन से जिले हुए NDA के कब्जे में और कहां महागठबंधन सिर्फ 1–2 सीटों पर सिमट गया. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि इस बार जनता ने एनडीए पर भारी भरोसा जताया है. नतीजों में कई जिलों में ऐसा एकतरफा रुझान देखने को मिला, जिसने चुनावी राजनीति की दिशा को पूरी तरह बदल दिया. राज्य के 38 में से 15 जिले ऐसे रहे जहां महागठबंधन एक भी सीट नहीं जीत पाया और हर सीट पर एनडीए के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की.
बिहार के जिन जिलों में एनडीए ने सभी सीटें जीतीं, वहां महागठबंधन का खाता तक नहीं खुला. इन इलाकों में वोटिंग पैटर्न इतना एकतरफा रहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एनडीए की जीत ही दिखाई दी. यह तस्वीर बताती है कि वोटर का मूड इन जिलों में बिल्कुल स्पष्ट था, और विपक्ष को यहां कोई जगह नहीं मिली. इन 15 जिलों में एनडीए ने शत-प्रतिशत सीटें जीतीं, जिसके साथ महागठबंधन पूरी तरह बाहर हो गया. राज्य के कुल जिलों के अनुपात में यह लगभग 42 प्रतिशत हिस्सा है, जो किसी भी गठबंधन के लिए बड़ी राजनीतिक बढ़त मानी जाती है.
नीचे प्रमुख जिलों का पूरा आंकड़ा दिया गया है:
जिला सीटें एनडीए महागठबंधन अन्य
भोजपुर 7 7 0 0
पूर्वी चंपारण 12 11 1 0
कटिहार 7 4 3 1
बेगूसराय 7 5 2 0
बक्सर 4 3 1 0
पश्चिमी चंपारण 9 7 2 0
सहरसा 4 2 2 0
खगड़िया 4 4 0 0
कैमूर 4 3 1 0
शिवहर 1 1 0 0
दरभंगा 10 10 0 0
भागलपुर 7 7 0 0
रोहतास 7 6 1 0
16 जिलों में खाता खुला, लेकिन बेहद कमजोर प्रदर्शन
जहां महागठबंधन जीत हासिल कर सका, वहां भी उनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा. कई जिलों में उन्हें केवल एक सीट पर ही जीत मिली, जबकि बाकी सीटें एनडीए के खाते में चली गईं. पूर्वी चंपारण जैसे बड़े जिले में महागठबंधन को केवल एक सीट मिली जबकि बाकी सभी सीटों पर एनडीए की जीत हुई. ऐसा ही हाल कई अन्य जिलों का रहा जहां महागठबंधन ने मौजूदगी तो दर्ज कराई, लेकिन मुकाबला जीत नहीं सका.
प्रमुख जिलों का विस्तृत चुनावी प्रदर्शन
2025 के चुनावों में विभिन्न जिलों की स्थिति स्पष्ट रूप से एनडीए के पक्ष में झुकी हुई दिखाई दी. भोजपुर, दरभंगा, भागलपुर, लखीसराय, गोपालगंज, सुपौल, नालंदा, खगड़िया और बांका में महागठबंधन पूरी तरह खाली हाथ रहा. कई जिलों में एनडीए छह, सात या दस में दस सीटों तक जीतकर निकला, जिससे यह चुनाव अब तक के सबसे एकतरफा मुकाबलों में से एक साबित हुआ. कुछ जिलों में तीन या चार सीटों पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की, लेकिन समग्र रूप से देखा जाए तो वह एनडीए के व्यापक प्रभाव को रोकने में नाकाम रहा. मुजफ्फरपुर, पटना, समस्तीपुर, सारण और गया जैसे बड़े जिलों में भी एनडीए स्पष्ट बढ़त में रहा और महागठबंधन को केवल सीमित सफलता मिली.
क्या संदेश मिलता है इस चुनावी नतीजे से?
इस चुनाव ने एक बात बहुत साफ कर दी बिहार की जनता इस बार पूरी दृढ़ता के साथ एक ही तरफ खड़ी दिखाई दी. एनडीए को मिला इतना बड़ा जनादेश यह दिखाता है कि विकास, स्थिरता और प्रबंधन से जुड़े मुद्दों ने जातीय और स्थानीय समीकरणों को पीछे छोड़ दिया. महागठबंधन के सामने मौजूद चुनौतियां भी नतीजों के साथ खुलकर सामने आ गईं, जिनमें संगठनात्मक कमजोरी और रणनीति की कमी सबसे प्रमुख रही.



