शिमला. हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन किया है. यहां पर अब सरकारी ने गरीबी की परिभाषा में बदलाव किया है और ऐसे में अब संशोधित नियमों के हिसाब से तय किया जाएगा कि गरीब कौन है.
दरअसल, सुक्खू सरकार की कैबिनेट मीटिंग गुरुवार को शिमला में हुई. इस दौरान बीपीएल नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई. सरकार ने तय किया है कि अब 18 से 59 वर्ष की आयुवर्ग के बीच बिना वयस्क सदस्य वाले परिवार को भी बीपीएस की श्रेणी में डाला जा सकता है. इसके अलावा, महिला मुखिया वाले परिवारों के अलावा, जिन परिवारों के मुखिया की विकलांगता 50 प्रतिशत या इससे अधिक है, को भी गरीबी रेखा के नीचे रखा जाएगा. संशोधित नियमों के तहत जिसश शख्स ने पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत कम से कम 100 दिन काम किया है, वो भी इस वर्ग में शामिल किया जा सकता है. कैंसर, अल्जाइमर, पार्किंसंस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, थैलेसीमिया या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित यानी कि स्थायी विकलांगता वाले परिवारों को बीपीएल सूची में शामिल करने को मंजूरी दी गई है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को 2 लाख 82 हजार बीपीएल परिवार कोटा दिया है. हालांकि, ये कोटा इतना ही रहेगा. राहत की एक और बात है कि आय सीमा को सरकार ने बढ़ा दिया है. अब जिस परिवार की आय सालाना 1.50 लाख रुप. या इससे कम होगी, वो परिवार भी बीपीएल में चयन होने के लिए पात्र होगा. इससे पहले यह आया सीमा 30 हजार रुपये सालाना थी. वहीं, ग्राम सभा के पास ही बीपीएल परिवार के चयन की शक्ति है. इससे पहले भी ग्राम सभी ही चयन करती थी.