
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि सीनियर सिविल सेवा अफसर की जिम्मेदारी जूनियर से इसलिए ज्यादा होती है कि उसे नए युवा अधिकारी को भी सही-गलत की पहचान बतानी है और सही राह पर चलना सिखाना है. एचसीएम-रीपा में सिविल सर्विस डे के मौके पर मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि शर्मा ने कहा कि नियुक्ति पत्र के साथ कर्तव्य पत्र भी देना चाहिए जिससे अधिकारी संवेदनशील होकर पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर सके. इस मौके पर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने ब्यूरोक्रेसी को पीएम मोदी के पी 2 जी 2 के मुलमंत्र पर काम करते हुए बिना अपॉइंटमेंट लोगों से मिलने की नसीहत देते हुए कहा कि अधिकारी को पर्सनल एजेंडा को अलग करके पब्लिक एजेंडा पर काम करना चाहिए. इस मौके पर मुख्य वक्ता अनिल स्वरूप ने कहा कि पारदर्शिता,गलती को स्वीकार करके सुधारना, तकनीक का पर्सनल प्रमोशन के बजाय योजना क्रियान्वयन में समझदारी भरा प्रयोग, टीम वर्क के साथ काम करने और दिखावे के बजाय खुद के अनुभव व मान्यता पर निर्णय लेना गुड गवर्नेंस का मूलमंत्र है. एचसीएम रीपा के बलवंत सिंह मेहता सभागार में सिविल सर्विस डे पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि कोई दिवस ऐसा भी हो या एक-दो दिन ऐसे भी होने चाहिए जिस दिन अफसर खुद अपने काम का आकलन-मूल्यांकन करें. उन्होंने लोक प्रशासन में तकनीक व डिजिटल सेवा का उपयोग करके तंत्र को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात कही और कहा कि संवेदनशील होकर आम व्यक्ति के समस्या समाधान करना चाहिए. उन्होने कहा कि कोई भी योजना,कार्यक्रम लाएं यो उसका आकलन, मूल्यांकन होना चाहिए…हर रोज खुद 5 मिनट आकलन करने लगे तो माह भर के आकलन की जरूरत नहीं’. सीएम ने कहा कि कभी कभी नए अधिकारी कोरे कागज की तरह आते हैं’…वे आपकी स्याही की इजाजत मांगते हैं और कभी कभी हम इस बात को भूल जाते हैं’ और तब ‘जीवन में उसका भला नहीं होता, लेकिन उसका बुरा होने की स्थिति बना देते हैं. जनसुनवाई के लिए एक घंटा देने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि ‘दृष्टि जैसी होगी, आगे वैसा ही काम होगा और इसीलिए सीनियर अधिकारी की जिम्मेदारी ज्यादा है. सीएस सुधांश पंत ने प्रो पीपल,प्रो एक्टिव होकर काम करने के पीएम मोदी के मूलमंत्र को जीवन में उतारने की नसीहत देते हुए कहा कि पी 2 जी 2 के आधार पर सुशासन करते हुए आत्म अवलोकन करें. उन्होंने पर्सनल एजेंडा को अलग रखते हुए पब्लिक एजेंडे पर काम करने की सलाह देते हुए कहा कि वर्क कल्चर विकसित करना जरूरी है और जब खुद की जिम्मेदारी की भावना आएगी तो फिर बाह्य मूल्यांकन की जरूररत नहीं है और अच्छा रास्ता चुनने पर ही रात को अच्छी नींद आएगी. समारोह के मुख्य वक्ता रिटायर्ड आईएएस अनिल स्वरूप ने कहा कि देश में आइडियाज की कमी नहीं, लेकिन इस राय का जमीन पर अनुपालन कैसे हो, यह जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि सबकुछ छोड़कर हम अपने पर फोकस करें और सोने से पहले सिर्फ यह पूछें कि मैं जो कर सकता था, क्या वह मैंने किया. उन्होंने ब्यूरोक्रेट को क्रांतिकारी नहीं होने की सलाह देते हुए खुद की क्षमता पर फोकस करने, नीति को लागू करने के लिए संबंधित मंत्री या राजनेता को भरोसे में लेने, दिखावे के बजाय युक्तिसंगत ढंग से निर्णय लेने,गलती होने पर छिपाने के बजाय पारदर्शिता से बताने,तकनीक के समझदारी भरे उपयोग करने और टीम में विश्वास करके उसका संरक्षण करने को गुड गवर्नेंस का मूल मंत्र बताया.