शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। 23 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में पीली धातु 170 रुपये बढ़कर 82,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
सोने की कीमत शुक्रवार को बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। 5 फरवरी की समाप्ति के लिए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने का वायदा भाव आज सुबह 10 बजकर 5 मिनट पर 0.41 प्रतिशत की उछाल के साथ 79,949 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में नीतिगत अनिश्चितताओं को लेकर बाजार की चिंताएं इसमें अहम भूमिका निभा रही हैं। साथ ही अच्छी हाजिर मांग, रुपये की कमजोरी और सकारात्मक वैश्विक संकेतों से भी सोने की कीमतों को समर्थन मिल रहा है।
कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर
खबर के मुताबिक, शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं और लगातार चौथे सप्ताह बढ़त की ओर अग्रसर हैं। ग्लोबल मार्केट में पॉजिटिव रुख के बीच गुरुवार, 23 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में पीली धातु 170 रुपये बढ़कर 82,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। व्यापारियों और निवेशकों की नजर अब फेडरल रिजर्व की मीटिंग पर है, जो 28-29 जनवरी को होने वाली है। बीते गुरुवार को ट्रम्प की टिप्पणी से अमेरिकी डॉलर मासिक निचले स्तर के करीब पहुंच गया। ट्रम्प ने कहा था कि वह ब्याज दरों को कम करने के लिए फेडरल रिजर्व पर दबाव डालेंगे।
उच्च ब्याज दरों का सोने की कीमत पर असर
कुल मिलाकर उच्च ब्याज दरें सोने की कीमत पर असर डालती हैं क्योंकि वे ब्याज देने वाली परिसंपत्ति में निवेश करने या बैंक में नकदी रखने के बजाय सोना रखने की अवसर लागत को बढ़ाती हैं। अगर ब्याज दरें अधिक हैं तो आमतौर पर अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ जाती है, और चूंकि सोने की कीमत डॉलर में होती है, इसलिए इसका असर सोने की कीमत कम करने पर पड़ता है। ब्याज दरें वित्तीय संस्थानों द्वारा उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले लोन पर लगाई जाती हैं। बचतकर्ताओं और जमाकर्ताओं को ब्याज के रूप में भुगतान की जाती हैं। वे आधार उधार दरों से प्रभावित होते हैं, जिन्हें अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों के जवाब में केंद्रीय बैंकों द्वारा तय किया जाता है।