दशहरा पर 4 शुभ संयोग, विजयादशमी पर मिलेगी हर काम में सफलता.

सांस्कृतिक एकता और अखण्डता को जोड़ने का पर्व है दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. विजयादशमी पर कुछ ऐसे काम हैं जरुर करना चाहिए. इससे जीवन में सुख का आगमन होता है.

सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्यौहार दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा. विजयदशमी (Vijayadashmi) का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज के दिन अस्त्र-शस्त्र (shastra puja) का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्तूबर प्रातः 10:58 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन तिथि का समापन: 13 अक्तूबर 2024, प्रातः 09:08 मिनट पर होगा. इस दिन जगह जगह रावण दहन किया जाता है. कहा जाता है कि रावण के पुतले को जला हर इंसान अपने अंदर के अहंकार, क्रोध का नाश करता है.

इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने कुछ दिन पहले भगवान राम (Shri ram) ने आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा की और फिर उनसे आशीर्वाद मिलने के बाद दशमी को रावण का अंत कर दिया.

दशहरा 2024 तिथि (Dussehra 2024 Tithi)

विजयादशमी तिथि का आरंभ: 12 अक्तूबर प्रातः 10:58 मिनट पर

तिथि का समापन: 13 अक्तूबर 2024, प्रातः 09:08 मिनट पर

4 शुभ योग में दशहरा (Dussehra 2024 Shubh yoga)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विजयदशमी के दिन श्रवण नक्षत्र का होना बहुत शुभ होता है, और इस साल इसका संयोग बन रहा है. श्रवण नक्षत्र 12 अक्तूबर को सुबह 5:25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्तूबर को सुबह 4:27 मिनट पर समाप्त हो रहा है. इसके साथ ही कुंभ राशि में शनि शश राजयोग, शुक्र और बुध लक्ष्मी नारायण योग के साथ शुक्र मालव्य नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं.

दशहरा मनाने की अलग-अलग परंपरा

दशमी को ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है.

इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है.

इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है.

इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है.

दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है.

शनि देव को हनुमान जी ने रावण के चंगुल से बचाया था

रावण ज्योतिष का प्रकांड विद्वान था. अपने पुत्र को अजेय बनाने के लिए इन्होंने नवग्रहों को आदेश दिया था कि वह उनके पुत्र मेघनाद की कुंडली में सही तरह से बैठें. शनि महाराज (Shani dev) ने बात नहीं मानी तो उन्हें बंदी बना लिया. रावण के दरबार में सारे देवता और दिग्पाल हाथ जोड़कर खड़े रहते थे. हनुमान जी जब लंका पहुंचे तो इन्हें रावण के बंधन से मुक्त करवाया.  रावण के अशोक वाटिका में एक लाख से अधिक अशोक के पेड़ के अलावा दिव्य पुष्प और फलों के वृक्ष थे. यहीं से हनुमान जी (Hanuman ji) आम लेकर भारत आए थे.

रावण में थी ये शक्तियां

रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था. उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था. उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था. इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे.

विजयदशमी पर पान का महत्व

विजयादशमी पर पान खाने, खिलाने तथा हनुमानजी पर पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है. पान मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है. इसलिए विजयादशमी के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है.

वहीं शारदीय नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पान का सेवन पाचन क्रिया को मज़बूत कर संक्रामक रोगों से बचाता है.

शुभ दिन है मांगलिक कार्यों के लिए

विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक है इसलिए इस दिन सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है.

यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे.

इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है.

इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कारण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं. परन्तु विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार निषेध माना गया है.

क्षत्रिय अस्त्र-शास्त्र का पूजन भी विजयादशमी के दिन ही करते हैं.

दशहरा पर क्यों करते हैं शस्त्र पूजन

दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का किया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के पूजन के बाद दशहरे का त्योहार मनाया जाता है. विजयदशमी पर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है. मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं. भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था.

अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपराएं शाश्वत हैं. यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की भी  पूजा की जाती है. हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए.

नीलकंठ का दिखना क्यों शुभ है?

हे थे, उसी दौरान उन्हें नीलकंठ के दर्शन हुए थे. इसके बाद श्रीराम को रावण पर विजय मिली थी. यही वजह है कि नीलकंठ का दिखना शुभ माना गया है.

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