
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा है कि भारत ने इस दौरान भगवान कृष्ण के उसी संदेश का जिक्र किया जो उन्होंने पांडवों को दिया था। आइए जानते हैं कि राजनाथ सिंह ने क्या कुछ कहा है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई उस संदेश से प्रेरित थी जिसमें भगवान कृष्ण ने पांडवों को कहा था कि युद्ध प्रतिशोध या महत्वाकांक्षा के लिए नहीं, बल्कि धर्म के शासन की स्थापना के लिए लड़ा जाना चाहिए। दरअसल, राजनाथ सिंह हरियाणा े कुरुक्षेत्र में आयोजित 10वें इंटरनेशनल गीता महोत्सव 2025 में शामिल हुए और वहां लोगों को संबोधित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह भी सीख दी कि जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है वह कभी नहीं डरता।”
क्या बोले राजनाथ सिंह?
रक्षा मंत्री ने कहा, “भगवान कृष्ण ने पांडवों को भी यही समझाया था कि युद्ध प्रतिशोध या महत्वाकांक्षा के लिए नहीं बल्कि धार्मिक शासन की स्थापना के लिए लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, हमने भगवान कृष्ण के संदेश का पालन किया। और इस अभियान ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत न तो आतंकवाद के खिलाफ चुप रहेगा और न ही किसी भी परिस्थिति में कमजोर पड़ेगा। श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को समझाया था कि धर्म केवल उपदेशों से ही नहीं बचता; यह कर्मों से सुरक्षित रहता है, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वह धर्म-आधारित कर्म था जिसे हमने अपनाया।”
भारत ‘गीता’ की धरती है- राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा- “पहलगाम गए बेगुनाह टूरिस्ट से उनका धर्म पूछकर उन्हें मार दिया गया। आतंकवादियों और उनके समर्थकों को यकीन था कि भारत की शराफ़त ही उसकी कमज़ोरी है। लेकिन वे भूल गए कि भारत ‘गीता’ की धरती है…भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए उन लोगों को करारा जवाब दिया जो हमारी मिलीभगत को कमज़ोरी समझते थे, जिसे वे आज तक नहीं भूले हैं। हमने दुनिया को दिखा दिया कि भारत जंग नहीं चाहता, लेकिन अगर मजबूर किया जाए, तो भारत लड़ाई से पीछे नहीं हटता और करारा जवाब देता है…हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भगवान कृष्ण के संदेश का पालन किया।”
राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ कोई सैन्य अभियान नहीं था। ये भारत के आत्म-प्रतिबद्धता, आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास का ऐलान था। उन्होंने कहा- “पहलगाम की घटना भारत के शांतिप्रिय स्वभाव को चुनौती दे रही थी। आतंकी और उनके आकाओं ने ये मान लिया था कि भारत का शिष्टाचार उसकी कमजोरी है। भारत गीता का देश है, जहां करुणा है और युद्ध के मैदान पर ‘धर्म’ की रक्षा करने की प्रेरणा भी है।”



