
बिहार चुनाव 2025 में मुस्लिम विधायकों की संख्या सिर्फ 10 रह गई. 1990 के बाद यह सबसे कम प्रतिनिधित्व है. जानें AIMIM, RJD, JDU, कांग्रेस और NDA-Muslim उम्मीदवारों का पूरा लेखा-जोखा. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में जहां एनडीए ने बड़ी जीत दर्ज की, वहीं एक और चिंताजनक तस्वीर सामने आई. इस बार सदन में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गई, जो पिछले लगभग 35 वर्षों में सबसे कम है. राज्य में मुस्लिम आबादी करीब 17.7% होने के बावजूद उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत कम हो जाना चुनावी रणनीतियों और टिकट वितरण की असमानता को साफ दिखाता है.
इस चुनाव में महागठबंधन और एनडीए दोनों ने ही मुस्लिम चेहरों पर कम भरोसा जताया. कई सीटें ऐसी थीं जहां परंपरागत रूप से मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने उन क्षेत्रों में भी गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा. AIMIM को महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया, जिसके बाद पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया. इन सब कारणों से मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व काफी सिमट गया और सीटों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर नीचे आ गई.
AIMIM ने सीमांचल में दोबारा दिखाई ताकत
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल की राजनीति में अपना प्रभाव इस बार भी बनाए रखा. पार्टी ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और उनमें से 5 पर जीत हासिल कर ली. ये जीत अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बहादुरगंज और बायसी जैसी सीटों पर दर्ज हुईं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है और AIMIM पिछले चुनाव में भी मजबूत प्रदर्शन कर चुकी थी. सीमांचल के चार जिलों अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में पार्टी का प्रभाव इस बार और स्पष्ट दिखा.
JDU के मुस्लिम उम्मीदवारों की स्थिति
जेडीयू ने 2025 के चुनाव में चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे. इनमें चैनपुर से मोहम्मद ज़मा खान सबसे आगे निकले. चैनपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र नहीं है, इसलिए भाजपा और जेडीयू ने इस सीट पर हिंदू मतदाताओं को साधने के लिए संयुक्त अभियान चलाया. 2020 में जेडीयू ने 11 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया था,लेकिन उस चुनाव में उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी. इस बार उम्मीदवारों की संख्या कम करने के बाद पार्टी एक सीट निकालने में सफल रही.
LJP (RV) का एकमात्र मुस्लिम चेहरा
चिराग पासवान की पार्टी ने बहादुरगंज से मोहम्मद कलीमुद्दीन को टिकट दिया. वे मुकाबले में टिके रहे लेकिन तीसरे स्थान पर रह गए. इस सीट पर AIMIM के तौसीफ आलम ने आरामदायक जीत दर्ज की,जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही.
RJD को मिली दो मुस्लिम सीटें
राष्ट्रीय जनता दल ने मुस्लिम उम्मीदवारों को सीमित टिकट दिए, लेकिन जिन दो सीटों पर अवसर मिला, वहां पार्टी को जीत हासिल हुई. बिस्फी से आसिफ अहमद विजयी रहे, जबकि रघुनाथपुर में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब ने जीत दर्ज कर परिवार की 21 साल बाद राजनीतिक वापसी कराई. इस बार RJD ने टिकट वितरण में नया संतुलन अपनाया, जिसमें यादव, मुस्लिम, ईबीसी, दलित और सवर्ण समुदायों के बीच नए सिरे से तालमेल बनाने की कोशिश दिखी.
सीमांचल में कांग्रेस की मिश्रित स्थिति
कांग्रेस ने सीमांचल में 2020 जैसी मौजूदगी कायम रखी. किशनगंज से मोहम्मद कमरुल होदा और अररिया से अबीदुर रहमान ने जीत हासिल की. हालांकि बड़ी उलटफेर उस समय देखने को मिला जब कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान नाथनगर में जेडीयू उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी से हार गए.
1990 के बाद सबसे कम मुस्लिम विधायक
अगर बिहार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के पिछले आंकड़ों को देखें तो 2025 का परिणाम बड़ी गिरावट दर्शाता है. साल 2010 में 19 मुस्लिम विधायक ने जीत हासिल की. 2015 में संख्या बढ़कर 24 तक पहुंची. वहीं 2020 में फिर 19 विधायक और 2025 में यह घटकर केवल 10 रह गई. यानी सदन का लगभग 4.1% हिस्सा, जबकि आबादी लगभग 17.7%.



