Bihar Election: क्या BJP का ‘बड़े चेहरे वाला दांव’ बदल देगा पूरा गेम? जानें- क्या है पूरा प्लान

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी बड़े चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. रणनीति से जातीय समीकरण साधने और एंटी-इनकंबेंसी खत्म करने की कोशिश होगी.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपनी रणनीति तेज कर दी है. सूत्रों के अनुसार पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी बड़े और लोकप्रिय चेहरों को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है. यह कदम खासकर उन क्षेत्रों में उठाया जा सकता है जहां पार्टी की स्थिति कमजोर मानी जाती है.

जानकारी के मुताबिक मौजूदा सांसद, पूर्व सांसद, विधान पार्षद और यहां तक कि केंद्रीय मंत्री तक को इस बार विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. इसका उद्देश्य जातीय समीकरण साधना और एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर को खत्म करना है. बीते वर्षों में पार्टी ने कुछ राज्यों में ऐसा प्रयोग किया है. हालांकि नतीजे हमेशा एक जैसे नहीं रहे, कहीं फायदा हुआ तो कहीं खास सफलता हाथ नहीं लगी.

चुनावी मैदान में उतर सकते हैं ये नेता

सूत्रों का कहना है कि बिहार में जिन नेताओं को उतारा जा सकता है, उनमें पूर्व सांसद सुशील सिंह (राजपूत), पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद रामकृपाल यादव (यादव), अश्विनी चौबे (ब्राह्मण), संजय पासवान (दलित), शाहनवाज हुसैन (मुस्लिम), केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय (यादव), सतीश चंद्र दूबे (ब्राह्मण), डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (कुशवाहा), मंत्री जनक राम (दलित), हरि सहनी (मल्लाह) और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (ब्राह्मण) जैसे बड़े नाम शामिल हैं.

तेजस्वी के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी में जनता- मृत्युंजय

इस रणनीति पर विपक्ष ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि BJP घबराई हुई है क्योंकि इस बार जनता बदलाव के मूड में है. चाहे जितने बड़े चेहरे मैदान में उतार लें, बिहार की जनता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनाने का मन बना चुकी है. यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है.

लोकप्रिय चेहरों को मैदान में उतारना बीजेपी की सोची-समझी रणनीति

राजनीतिक विश्लेषक संतोष यादव का मानना है कि लोकप्रिय चेहरों को चुनावी मैदान में उतारना बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है. इससे न केवल कमजोर सीटों पर पकड़ मजबूत होगी बल्कि जातीय समीकरण भी साधे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इन नेताओं का अपने-अपने समाज में गहरा प्रभाव है, जिससे वोटर आकर्षित होंगे और एंटी-इनकंबेंसी का असर कम हो सकता है.

कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी बड़े दांव खेलने की तैयारी में है. अब देखना होगा कि यह रणनीति पार्टी को सफलता दिलाती है या विपक्ष के दावों के आगे फीकी पड़ जाती है.

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