
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि नीतीश कुमार के खिलाफ भी कोई ऐसा एंगर नहीं दिख रहा है कि इनको उखाड़ फेंकना है. 20 साल के कारण लोगों में थोड़ी बहुत ऊबन है. बिहार विधानसभा चुनाव अब नजदीक है. इस बार एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच काफी क्लोज फाइट देखी जा रही है. इसी को लेकर एक न्यूज चैनल से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अजीत द्विवेदी ने कहा कि अभी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को फायदा मिलता दिख रहा है और उसके कई कारण हैं. उन्होंने कहा कि सरकारें आजकल बहुत कम हार रही हैं. देखा जाए तो एक तरह से प्रो-इनकंबेंसी का दौर चल रहा है, इसकी वजह तमाम योजनाएं हैं.
उन्होंने कहा कि इसी वजह से एनडीए को एडवांटेज है और इंडिया ब्लॉक अभी ये सारी चीजें लैक कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव एक तरफ हैं, महागठबंधन एक तरफ है. वहीं, नीतीश कुमार आज बैंकों में पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं. लोगों को उस पर भरोसा हो रहा है क्योंकि पैसा आ रहा है आज की डेट में. तेजस्वी यादव हर घर जॉब का वादा कर रहे हैं.
बिहार में कैसे है प्रो इनकंबेंसी ?
प्रो इनकंबेंसी को लेकर उन्होंने कहा कि एक फैक्टर यह है कि 10 हजार रुपये महिलाओं के खाते में उन्होंने भेज दिए. ये दिवाली के ठीक पहले आए हैं, उनके खाते में. इस तरह की तमाम योजनाएं हमेशा से गेम चेंजर रही हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान की चाहे लाडली बहना योजना, एकनाथ शिंदे की मांझी लड़की बहन योजना, छत्तीसगढ़ में महतारी बंधन योजना या पिछले साल झारखंड की सरकार की मैया सम्मान योजना हो. इस तरह की योजनाएं गेम चेंजर साबित हुई हैं.
मध्य प्रदेश का दिया उदाहरण
उन्होंने बताया कि 2018 में मध्य प्रदेश में हमने चुनाव कवर किया. उस समय राहुल गांधी सबसे अग्रेसिव अंदाज में कैंपेन कर रहे थे. चौकीदार चोर है का नारा देकर, वो उस समय चुनाव लड़ रहे थे. उस वक्त मध्य प्रदेश में 12 साल से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे और 15 साल से बीजेपी की सरकार थी. वहां लोग भले ही शिवराज सिंह चौहान की आलोचना करते थे, लेकिन ऐसा गुस्सा नहीं था कि इनको उखाड़ फेंकना है. कांग्रेस वहां 15 साल बाद जीती, लेकिन तब भी 230 में से कांग्रेस को सिर्फ 114 सीटें आई और बीजेपी हारी तब भी 109 सीटें आईं. ठीक उसी तरह का माहौल हमको बिहार में दिख रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि नीतीश कुमार के खिलाफ भी कोई ऐसा एंगर नहीं दिख रहा है कि इनको उखाड़ फेंकना है. लोगों में जो थोड़ी बहुत ऊब है, 20 साल से उनको देखते हुए, उसे दूर करने के लिए यह योजना काम आ जाएगी. अगर नीतीश के खिलाफ लोगों में बहुत गुस्सा होता, उनको उखाड़ फेंकने की भावना होती, तब यह चीजें काम नहीं आती.