अरावली पर जारी विवाद पर आया पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का बयान, प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दीं कई बातें

अरावली पर्वतमाला की सुरक्षा को लेकर जारी विवाद के बीच पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का बयान सामने आ गया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है।

अरावली पर्वतमाला की सुरक्षा की मांग को लेकर बड़े स्तर पर विवाद जारी है। कांग्रेस का आरोप है कि बड़े पैमाने पर खनन की अनुमति देने के लिए अरावली की परिभाषा में बदलाव किया गया है। हालांकि, सरकार ने कांग्रेस के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सोमवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर जारी विवाद के बीच बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और साफ कर दिया है कि अरावली के मुद्दे पर भ्रम फैलाया गया है। आइए जानते हैं कि इस मुद्दे पर पर्यावरण मंत्री ने क्या कुछ कहा है।

फैसला पर भ्रम फैलाया गया- भूपेंद्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा- “अरावली हमारे देश की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया जिस पर भ्रम फैलाया गया। मैंने इस फैसले को देखा, मै कहना चाहता हूं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में अरावली की पहाड़िया और बढ़ी हैं। कोर्ट के जजमेंट में कहा गया कि अरावली को बचाने के लिए और इसे बढाने के लिए कदम उठाने चाहिए। खासतौर पर हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में पहाड़ियां बढ़ी हैं। दिल्ली के ग्रीन बेल्ट के लिए हमने काम किया हैं।”

एनसीआर में माइनिंग की इजाजत नहीं है- भूपेंद्र यादव

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा- “अरावली पहाड़ को लेकर जो कोर्ट का आदेश हैं उसमे जो टॉप मीटर का विषय हैं, वो उस स्टेज का मिनिमम स्टेज हैं। मैं क्लियर कर दूं कि एनसीआर में माइनिंग की इजाजत नहीं है, इसलिए सवाल पैदा हीं नहीं होता। फैसले में ये भी कहा गया है कि नई लीज माइनिंग नहीं दी जाएगी। अरावली का जो कोर एरिया हैं, वहां माइनिंग की अनुमति हीं नहीं हैं।”

0.19% हिस्से में ही खनन की पात्रता- भूपेंद्र यादव

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर्वतमाला के मुद्दे पर जानकारी देते हुए कहा- “अरावली के कुल 1.44 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मात्र 0.19% हिस्से में ही खनन की पात्रता हो सकती है। बाकी पूरी अरावली संरक्षित और सुरक्षित है।”

Related Articles

Back to top button