2026 में कहां युद्ध और तनाव, भारत-पाक फौजें क्या फिर होगी आमने-सामनें? ज्योतिष से हैरान करने वाली भविष्यवाणी

Prediction: साल 2026 की ग्रह-स्थिति बताती है कि रूस-यूक्रेन, मध्य-पूर्व, चीन-ताइवान, दक्षिण चीन सागर, कोरिया प्रायद्वीप और भारत-चीन-पाक क्षेत्रों में तनाव बढ़ सकता है. 2026 वह साल है जिसे दुनिया नजरअंदाज़ नहीं कर सकती. कई सीमाएं ऐसी मोड़ पर खड़ी होंगी जहां एक छोटी हलचल भी पूरा भूगोल बदल सकती है. ग्रह संकेत देते हैं कि नए साल में तनाव सिर्फ बढ़ेगा नहीं, कई जगह अचानक फट भी सकता है.

शनि का मीन राशि में होना समुद्रों को अस्थिर बना रहा है. राहु कुंभ राशि में बैठकर आकाश और तकनीक में टकराव बढ़ा रहा है और चार ग्रहण उन क्षेत्रों पर सीधी चमक डालते हैं जहां शांति सबसे नाज़ुक है. कह सकते हैं कि 2026 युद्ध का साल तो नहीं, लेकिन ऐसा साल जरूर है जिसमें दुनिया का एक गलत कदम इतिहास बदल सकता है.

2026: दुनिया की सबसे सीमाएं जहां शांति नदारत रहेगी

साल 2026 दुनिया का वह साल है जहां अस्थिरता किसी एक महाद्वीप तक सीमित नहीं रहेगी. ग्रहों का दबाव सीमाओं से समुद्र तक और नेतृत्व से तकनीक तक, हर स्तर पर तनाव बढ़ाने जा रहा है. ज्योतिष की गणना युद्ध का दावा तो नहीं करती है लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि 2026 दुनिया को लगातार ‘एस्कलेशन मोड’ में रखेगा. इसकी एक नहीं कई ज्योतिषीय वजह नजर आ रही हैं.

समुद्र में हलचल, दक्षिण चीन सागर में चीन की नौसैनिक मौजूदगी 2026 में तीखी हो सकती है

शनि का मीन राशि में होना समुद्र में हलचल, बंदरगाहों पर चिंता और वैश्विक सप्लाई लाइन पर सीधा खतरा दिखा रहा है. शनि 2026 में मीन में स्थिर है. मीन वह राशि है जो समुद्री व्यापार, वैश्विक लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा-रूट और मानवीय संकटों को सीधे प्रभावित करती है. इसलिए ये क्षेत्र शांत नहीं दिख रहे हैं और समुद्र साल 2026 का सबसे संवेदनशील मैदान बन सकता है. क्योंकि समुद्री रास्ते सिर्फ व्यापार नहीं ढोते. वे देशों की अर्थव्यवस्था, भोजन, ऊर्जा और सैन्य तैयारी को नियंत्रित करते हैं. शनि इन रास्तों को बोझिल करता है. इसका असर ये हो सकता है कि काला सागर में रूस-यूक्रेन से जुड़ी अनिश्चितता दुनिया की खाद्य सप्लाई को झटका दे सकती है. रेड सी और हॉरमुज़ पर कोई भी सैन्य गतिविधि तेल-कीमतों को सुलगा सकती है. दक्षिण चीन सागर में चीन की नौसैनिक मौजूदगी 2026 में और तीखी हो सकती है और यही वह जगह है जहां अमेरिका, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया की सेनाएं लगातार नज़रें जमाए रहेंगी.

शनि ग्रह का मीन राशि में होना किसी खतरे से कम नहीं है. यह ‘सीधा युद्ध’ तो नहीं कराता, लेकिन युद्ध जैसी रणनीतिक स्थिति पैदा करता है. जहां हर देश सोचता है कि ‘हमारी सप्लाई लाइन किस दिन रुक सकती है?’

सैटेलाइट, साइबर, ड्रोन: 2026 में असली संघर्ष जमीन पर नहीं, हवा-स्क्रीन पर होगा

राहु कुंभ राशि में दुनिया को तकनीकी शक्ति के मुकाबले में खड़ा करता है. कौन-सा देश किसकी निगरानी करेगा, कौन किसका डेटा काबू करेगा और कौन किसकी हवाई गतिविधि को रोकने की कोशिश करेगा? असल में साल 2026 इसी की कहानी होगी.

ड्रोन युद्ध का दायरा बढ़ेगा. चाहे पूर्वी यूरोप हो या मध्य-पूर्व. सैटेलाइट जामिंग, GPS-इंटरफेरेंस जैसी घटनाएं कई बार सुर्खियों में आएंगी. साइबर हमले देशों की बिजली, बैंकिंग और सैन्य कमान तक खतरनाक पहुंच बना सकते हैं. NATO, QUAD, BRICS आदि संगठनों में विश्वास और अविश्वास-दोनों बढ़ेंगे, क्योंकि हर देश तकनीकी प्रभुत्व चाहता है.

2026 का असली युद्धभूगोल यही कहता है कि नए साल में मिट्टी नहीं. क्लाउड, कमांड रूम, फाइबर-नेटवर्क, हवाई सुरंगें और सैटेलाइट की कक्षाएं दिशा तय करेंगी. सिंह राशि बैठा केतु नेतृत्व की लड़ाई, सत्ता की थकान और राष्ट्र-अभिमान की राजनीति का संकेत दे रहा है और सिंह राशि किसी देश की सेना या अर्थव्यवस्था से ज़्यादा उसके नेतृत्व, प्रतिष्ठा और घोषणाओं को नियंत्रित करता है. केतु जब सिंह राशि में हो तो क्या असर क्या करता है? इससे जानना बहुत आवश्यक है, क्योंकि 365 दिन की हकीकत इसी में छिपी है. बड़े देशों में नेताओं पर भारी दबाव. तीखे बयान, सख़्त नीतियां और कई बार कूटनीतिक जोखिम उठाने की प्रवृत्ति देखने को मिलेगी जो साल के अंत में कुछ परिस्थितियां बदल भी सकती हैं. शनि का राशि परिवर्तन न होना और अन्य ग्रहों की स्थितियां ये भी स्पष्ट कर रही हैं कि मई-सितंबर 2026 के मध्य जनता और विरोधी-दोनों ओर से दबाव बढ़ सकता है. कुछ देशों में अचानक चुनावी हलचल, सत्ता परिवर्तन या आंतरिक अस्थिरता देखने को मिलेगी.

दुनिया के बड़े तनाव क्षेत्र, 2026 में सबसे ज़्यादा हलचल यहीं होगी

रूस-यूक्रेन-NATO: संघर्ष की आग नहीं बुझती, उसका धुआं फैलता है 2026 वह वर्ष नहीं है जब पूर्वी यूरोप में शांति दिखेगी. क्यों? शनि मीन राशि में होगा जो काला सागर में किसी भी घटना का असर यूरोप तक फैला रहा है. राहु कुंभ में ड्रोन, लंबी दूरी के हथियार और तकनीकी युद्ध को बढ़ावा दे रहा है.

केतु सिंह राशि में बैठकर नेतृत्व का दबाव, कड़े बयान, धीमी कूटनीति की चाल चलेगा. जिस कारण युद्ध तो नहीं होगा लेकिन हालात पूरे बना देगा. इस तरह की स्थितियां बार-बार बनेंगी.  साल 2026 में मिसाइल, समुद्री निगरानी और ड्रोन गतिविधियां बढ़ेंगी. नए साल में शांति-समझौता निकट नहीं दिखता.

मध्य-पूर्व: इज़राइल, गाज़ा, लेबनान, ईरान होगा 2026 का सबसे विस्फोटक क्षेत्र. यह क्षेत्र 2026 में लगातार वैश्विक चेतावनी पर रहेगा.जिसके चार कारण नजर आ रहे हैं.

  1. फरवरी-मार्च के ग्रहण – अचानक उछाल.
  2. अगस्त के ग्रहण – फिर से अस्थिरता.
  3. राहु कुंभ – मिसाइल, ड्रोन, इंटरसेप्ट जैसी गतिविधियां तेज़.
  4. केतु सिंह – नेताओँ के आक्रामक बयान और सैन्य विकल्प खुले रहते हैं.


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