नवजात तस्करी रैकेट पर दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती, दो महिलाओं की ज़मानत रद्द

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने नवजात शिशुओं की तस्करी में शामिल दो महिलाओं की जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा कि यह अपराध गंभीर है और समाज की नैतिक व्यवस्था पर हमला है.दिल्ली हाईकोर्ट ने नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त से जुड़े एक बड़े अंतरराज्यीय तस्करी रैकेट में कथित रूप से शामिल दो महिलाओं की ज़मानत रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराध बेहद गंभीर और समाज की नैतिक व्यवस्था के लिए खतरनाक हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा यह बेहद गम्भीर मामला है. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अजय दिग्पाल ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि नवजात शिशुओं की तस्करी बच्चों के अधिकारों और गरिमा पर सीधा हमला है और इसे किसी भी स्थिति में सामान्य अपराध नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले समाज की अंतरात्मा को झकझोर देते हैं और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पेश करते हैं.

अंतरराज्यीय गैंग पर पुलिस के गंभीर आरोप

दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश वकील ने कहा यह रैकेट दिल्ली, राजस्थान और गुजरात तक फैला हुआ है. कई आरोपी अभी भी फरार हैं और कुछ बच्चों का अब तक पता नहीं चल पाया है. कोर्ट ने माना कि सेशन कोर्ट ने सिर्फ चार्जशीट दाखिल होने के आधार पर जमानत दे दी जबकि अपराध की गंभीरता, आरोपियों की भूमिका और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया. पुलिस के अनुसार पूनम रैकेट की मुख्य संचालिका है जो नवजात बच्चो की खरीद, कमीशन तय करने और उन्हें खरीददारों तक पहुंचाने का काम संभालती थी. बिमला को तस्करी किए गए बच्चों की प्राप्ति और आगे वितरण का ज़िम्मा सौंपा जाता था. दोनों महिलाओं पर आरोप है कि वे पहले भी ऐसे मामलों में शामिल रही हैं.

गवाहों को प्रभावित होने का खतरा, हाईकोर्ट ने दी सख्त हिदायत

हाईकोर्ट ने कहा कि जांच अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है और कुछ आरोपी व बच्चे अब भी ट्रेस नहीं हुए हैं. ऐसे में मुख्य आरोपियों को रिहा करने से जांच प्रभावित हो सकती है. कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि रिहाई के बाद इनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इन सभी कारणों को देखते हुए हाईकोर्ट ने दोनों महिलाओं की ज़मानत रद्द करते हुए उन्हें सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया.

Related Articles

Back to top button