Bihar Election 2025: चिराग, मांझी, सहनी और कांग्रेस… INDIA-NDA में कहां फंसा सीट शेयरिंग पर पेच?

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में NDA और INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है. तेजस्वी यादव कांग्रेस को 55 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहते, वहीं मुकेश सहनी 35-40 सीटों की मांग पर अड़े हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है, लेकिन अब तक न तो सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) और न ही विपक्षी गठबंधन (INDIA) में सीट शेयरिंग को लेकर कुछ फाइनल हुआ है. एक ओर इंडिया गठबंधन में तेजस्वी यादव की RJD कांग्रेस को 55 सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं है, तो दूसरी ओर NDA में चिराग पासवान अपनी पार्टी को मिली सीटों की संख्या से खुश नहीं हैं. 

INDIA गठबंधन की सीट शेयरिंग में कहां बन रही असहमति?

बात इंडिया गठबंधन की करें तो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) कांग्रेस को सीट शेयरिंग में 50 से 55 सीट देना चाहती है. इससे ज्यादा सीटों पर तेजस्वी यादव राजी नहीं हैं. इसके अलावा, लेफ्ट पिछली बार की तरह ही करीब 25 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. RJD की तरफ से लेफ्ट पार्टियों को समझाया गया कि पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस हो या RJD, दोनों ही कम सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में लेफ्ट की सीट कम नहीं की जा रहीं. इधर, सबसे बड़ा पेच फंसा है विकासशील इंसान पार्टी (VIP) चीफ मुकेश सहनी के साथ. मुकेश सहनी अपनी 35 से 40 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि आरजेडी किसी भी सूरत में मुकेश सहनी को 20 से ऊपर सीट देने को तैयार नहीं है.

सीट बंटवारे को लेकर CPIML महासचिव दीपांकर भट्‌टाचार्य ने कहा है कि अभी लेकर बातचीत चल रही है. एक से दो दिन के अंदर सब तय हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे से बड़ा सवाल बिहार के भविष्य का है. SIR के नाम पर जो खेल खेला गया है, यह भी देखना है. पूरे देश में दलितों और आदिवासियों पर जो हमला हो रहा है, वह भी बिहार की जनता देख रही है. 

NDA की सीट शेयरिंग में कहां फंस रहा पेच?

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी और JDU का मानना है कि चिराग पासवान की मांग किसी भी सूरत में जायज नहीं है,  क्योंकि 36 सीट देने का मतलब यह है कि बीजेपी और जेडीयू 100-100 से कम सीटों पर चुनाव लड़ें. अगर चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 36 से 40 सीटों की मांग को गठबंधन मान जाता है तो फिर जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की भी मांगें माननी पड़ेंगी. 

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