
28 अगस्त 2025 को दिल्ली के प्रतिष्ठित होटल अशोका में मध्यप्रदेश की सियासत का एक अनोखा नजारा देखने को मिला। पूर्व केंद्रीय मंत्री और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए सुरेश पचौरी की पत्नी, सुपर्णा पचौरी, के केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी के पद से रिटायरमेंट के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में सत्तापक्ष और विपक्ष के दिग्गज नेता एक मंच पर नजर आए।
इस समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए प्रमोद कृष्णम, भोपाल सांसद आलोक शर्मा, होशंगाबाद सांसद चौधरी दर्शन सिंह, और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और नेता शामिल हुए।
सुपर्णा पचौरी, जो एक वरिष्ठ IAS अधिकारी रही हैं, ने अपने करियर में वित्त सलाहकार के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके रिटायरमेंट समारोह की तस्वीरें अब सामने आई हैं, जो मध्यप्रदेश की सियासत में एकता और तनाव के बीच एक नया दृश्य पेश करती हैं, खासकर उस समय जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच बयानबाजी और ट्विटर वॉर अपने चरम पर है।
दिग्विजय बनाम कमलनाथ
मध्य प्रदेश की राजनीति में 2020 में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के गिरने की घटना एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि 20 मार्च 2020 को सरकार का पतन कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेदों के कारण हुआ था। दिग्विजय के इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। जवाब में कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह गलतफहमी थी कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी।
इस बयानबाजी ने दोनों नेताओं के बीच 45 साल पुरानी दोस्ती में दरार की खबरों को और हवा दी। दिग्विजय ने हालांकि बाद में स्पष्ट किया कि उनकी कमलनाथ के साथ कोई खटास नहीं है और टिकट बंटवारे जैसे मुद्दों पर उनकी बातें मजाक का हिस्सा थीं। लेकिन कमलनाथ के जवाब ने इस तनाव को सार्वजनिक मंच पर ला दिया। गुना दौरे पर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे अतीत की बात कहकर टालने की कोशिश की, लेकिन यह विवाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर आंतरिक कलह को उजागर कर गया।
सुरेश पचौरी का भाजपा में जाना
सुरेश पचौरी, जो कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रहे, ने मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके इस कदम की कांग्रेस नेताओं ने तीखी आलोचना की थी, लेकिन पचौरी ने अपने पुराने सहयोगियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे। इसका प्रमाण दिल्ली के इस समारोह में देखने को मिला, जहां कमलनाथ जैसे कांग्रेसी दिग्गज और भाजपा के वरिष्ठ नेता एक साथ नजर आए। पचौरी का भाजपा में जाना और उनके रिटायरमेंट समारोह में दोनों दलों के नेताओं की मौजूदगी यह दर्शाती है कि व्यक्तिगत संबंध और सियासी रणनीतियां मध्यप्रदेश की राजनीति में एक साथ चलती हैं।
सुपर्णा पचौरी: एक प्रभावशाली प्रशासनिक करियर
सुपर्णा पचौरी ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में उनकी सेवाएं और वित्त सलाहकार के तौर पर उनके निर्णयों ने कई नीतियों को आकार दिया। उनके रिटायरमेंट समारोह में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, और केंद्रीय मंत्री जैसे नेताओं की उपस्थिति उनकी प्रशासनिक उपलब्धियों और प्रभाव को दर्शाती है।
सियासत और समारोह का संगम
यह समारोह उस समय हुआ, जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच ट्विटर पर छिड़ी जंग सुर्खियों में थी। कमलनाथ की समारोह में मौजूदगी और उनके पुराने सहयोगी सुरेश पचौरी के साथ मंच साझा करना कई सवाल खड़े करता है। क्या यह सियासी तनाव के बीच एकजुटता का संदेश था, या फिर महज एक सामाजिक औपचारिकता? इस समारोह में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का एक साथ आना मध्यप्रदेश की सियासत में एक नया संदेश दे सकता है, खासकर तब जब दोनों दलों के बीच 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद तनाव चरम पर रहा है।