
प्रधानमंत्री मोदी ने एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र को लेकर बड़ी घोषणा की. विशेषज्ञों का कहना है कि यह इजराइल की आयरन डोम की तरह हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सुरक्षा का संकल्प जताते हुए शुक्रवार को वायु रक्षा प्रणाली मिशन ‘सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की. मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में सैन्य मंचों के लिए विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करने के देश के संकल्प की ओर इशारा करते हुए भारत के लड़ाकू विमानों के लिए देश के अंदर ही जेट इंजन के विकास की जरूरत बताई.
प्रधानमंत्री ने कहा, ”अब देश सुदर्शन चक्र मिशन शुरू करेगा. यह मिशन सुदर्शन चक्र एक शक्तिशाली शस्त्र प्रणाली होगी जो दुश्मन के हमले को तो नेस्तानाबूद करेगी ही, बल्कि दुश्मन पर कई गुना ज्यादा मजबूती से पलटवार करेगी.”
सुदर्शन चक्र को लेकर क्या बोले विशेषज्ञ
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सुदर्शन चक्र’ एयर डिफेंस सिस्टम के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह इजराइल की आयरन डोम की तर्ज पर हो सकता है. जिसे बहुत प्रभावशाली सैन्य कवच माना जाता है.
प्रधानमंत्री ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच भविष्य में किसी तरह के सैन्य संघर्ष की स्थिति में कथित तौर पर सीमा पर स्थित भारतीय प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने का संकेत दिया था जिनमें गुजरात में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जामनगर रिफाइनरी शामिल है.
DRDO एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस को लेकर कर रहा काम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस को लेकर काम रहा है, लेकिन भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक खतरों से निपटने के लिए पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित करने की जरूरत है, जो जमीन, समंदर और हवाई प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकें. अभी DRDO 500 किलो मीटर रेंज वाली सतह से सतह तक मार करने वाली टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल बना रहा है, जिसमें 500-1000 किलोग्राम का वारहेड है. इस मिसाइल की खास बात यह है कि ये जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.
पीएम मोदी ने भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र का किया जिक्र
मोदी ने महाभारत में भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र का जिक्र करते हुए कहा कि उससे प्रेरणा पाकर हमने उसकी राह को चुना है. उन्होंने कहा कि यह मिशन रणनीतिक स्वायत्तता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.