
साख में सुधार से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय कंपनियों के लिए कर्ज की लागत में कमी आएगी. एसएंडपी ने जनवरी 2007 में भारत को सबसे निचले निवेश स्तर की रेटिंग ‘BBB-’ दी थी. भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को अपग्रेड करते हुए ‘BBB’ कर दिया. रेटिंग एजेंसी ने इसके पीछे मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीति उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग बढ़ाई है.
भारत के लिए राहत
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. पिछले 5-6 साल में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. एसएंडपी ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बेहद सीमित असर होगा. एसएंडपी के मुताबिक, भारत व्यापार पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है और इसकी लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से आती है. गौरतलब है कि अमेरिकी एजेंसी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में ऐसे समय पर सुधार किया है, जब इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को “डेड इकोनॉमी” करार दिया था. राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से भारत के ऊपर 25 प्रतिशत बेस टैरिफ और उसके बाद रूस से तेल खरीदने की वजह से अतिरिक्त 25 प्रतिशत पेनाल्टी के तौर पर लगाया गया है. यानी भारतीय सामानों के ऊपर 27 अगस्त से 50 प्रतिशत का टैरिफ प्रभावी हो जाएगा, जो अब तक का सबसे ज्यादा शुल्क है.
साख में सुधार के क्या मायने हैं?
साख में सुधार से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय कंपनियों के लिए कर्ज की लागत में कमी आएगी. एसएंडपी ने जनवरी 2007 में भारत को सबसे निचले निवेश स्तर की रेटिंग ‘BBB-’ दी थी. यह किसी वैश्विक रेटिंग एजेंसी द्वारा साख में पहला सुधार है, जिसमें भारत को सबसे निचले निवेश स्तर से एक पायदान ऊपर की रेटिंग दी गई है. ‘BBB’ निवेश स्तर की रेटिंग है और यह देश की अपने कर्ज दायित्वों को आसानी से चुकाने की बेहतर क्षमता को बताती है.
एसएंडपी ने पिछले साल मई में भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर’ से बदलकर ‘सकारात्मक’ कर दिया था, साथ ही संकेत दिया था कि अगले 24 महीनों में रेटिंग में सुधार हो सकता है. एसएंडपी ने भारत की रेटिंग में सुधार करते हुए कहा, “भारत की साख में सुधार, महंगाई पर अंकुश लगाने वाले बेहतर मौद्रिक नीति परिवेश के साथ मजबूत आर्थिक वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है.”