
चीन ने कहा कि भारत को शिजांग से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता को पूरी तरह से समझना चाहिए और 14वें दलाई लामा की अलगाववाद विरोधी मानसिकता को पहचानना चाहिए तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी, जिस पर चीन भड़क गया है. उनके जन्मदिन के समारोह में भारतीय अधिकारियों की मौजूदगी पर चीन ने विरोध जताया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर भारत को चीन की संवेदनशीलता को पूरी तरह से समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि तिब्बत से जुड़े मामलो पर चीन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है जो सबको पता है.
समझदारी से काम ले भारत- चीनी विदेश मंत्रालय
चीनी विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया, “14वें दलाई लामा राजनीतिक कारणों से अपने देश से बाहर रह रहे हैं. वे लंबे समय से अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं और धर्म की आड़ में शिजांग (तिब्बत का एक क्षेत्र) को चीन से अलग करने का प्रयास करते रहे हैं. भारत को समझदारी से काम लेना चाहिए और बोलना चाहिए. इस मुद्दे का इस्तेमाल चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए नहीं करना चाहिए.”
‘शिजांग मुद्दे की संवेदनशीलता को समझे भारत’
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने कहा, “भारत को शिजांग से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता को पूरी तरह से समझना चाहिए और 14वें दलाई लामा की अलगाववाद विरोधी मानसिकता को पहचानना चाहिए.” पीएम मोदी ने रविवार (6 जुलाई 2025) को दलाई लामा को जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए उन्हें प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का प्रतीक बताया था.
जन्मदिन समारोह में पहुंचे थे केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और राजीव रंजन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, सिक्किम के मंत्री सोनम लामा और हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गियर धर्मशाला में दलाई लामा के जन्मदिन समारोह में शामिल हुए थे. यह आयोजन ऐसे वक्त हुआ है, जब पिछले कुछ दिनों से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि दलाई लामा संस्था को समाप्त कर दिया जाएगा. चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को खारिज करते हुए इस पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी.
मुझमें कोई अभिमान नहीं- दलाई लामा
दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने कहा कि यह लोगों का प्यार है, जो उन्हें सभी प्राणियों की सेवा के मार्ग पर चलते रहने के लिए प्रेरित करता है. उन्होंने कहा, “दलाई लामा की उपाधि मिलने के बाद भी मुझमें कोई अभिमान या अहंकार नहीं है. बुद्ध के अनुयायी, भिक्षु के रूप में जनता की सेवा करना और बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार करना ही मेरा मुख्य अभ्यास है.”