
मध्यप्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा में मातृभाषा हिंदी को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। अब राज्य के मेडिकल छात्र यदि हिंदी में परीक्षा देंगे, तो उन्हें परीक्षा शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इसके अलावा, हिंदी माध्यम में पढ़ाई कर मेरिट लाने वाले छात्रों को नकद पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
चिकित्सा शिक्षा में मातृभाषा को बढ़ावा देने की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य के मेडिकल छात्र अगर हिंदी भाषा में परीक्षा देते हैं, तो उन्हें परीक्षा शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। यह निर्णय हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को विशेष प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस संबंध में विभाग द्वारा अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि सरकार प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को भाषाई अड़चनों से मुक्त कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी शिक्षा के विजन और गृह मंत्री अमित शाह के मातृभाषा में शिक्षा के संकल्प से प्रेरित है।
हिंदी में एमबीबीएस पढ़ाई का सफल मॉडल
मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां हिंदी माध्यम में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की गई। वर्तमान में सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों में प्रथम वर्ष से अंतिम वर्ष तक हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिससे हजारों विद्यार्थी लाभ ले रहे हैं। यह योजना उन विद्यार्थियों को और अधिक प्रेरित करेगी, जो ग्रामीण, अर्ध-शहरी या हिंदीभाषी पृष्ठभूमि से आते हैं और चिकित्सा क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। यह न सिर्फ परीक्षा उत्तीर्ण करने का माध्यम है, बल्कि हिंदी में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की पहचान भी है।
हिंदी माध्यम में मेरिट पाने वालों को मिलेगा नकद पुरस्कार
हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को न केवल फीस में राहत मिलेगी, बल्कि विश्वविद्यालय स्तर पर मेरिट लाने वालों को नकद पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
पूरे कोर्स में मेरिट लाने पर
प्रथम स्थान: 2 लाख
द्वितीय स्थान: 1.5 लाख
तृतीय स्थान: 1 लाख
चतुर्थ स्थान: 50 हजार
हर वर्ष या प्रोफेशन में मेरिट लाने पर
प्रथम स्थान: 1 लाख
द्वितीय स्थान: 75 हजार
तृतीय स्थान: 50 हजार
चतुर्थ स्थान: 25 हजार
छात्रों को मिलेगी हर सुविधा
मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर ने सभी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों को निर्देशित किया है कि वे हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराएं। ऐसे छात्रों की सूची विश्वविद्यालय को भेजी जाएगी और उनके लिए हिंदी भाषी परीक्षकों की नियुक्ति, समाधान कक्षाएं और विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि शिक्षण सहज और प्रभावी हो सके।