
यूपी में बीजेपी अपने नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए चर्चा में तेजी से लगी हुई है. इसी के साथ भाजपा प्रदेश में ओबीसी और दलित जातियों के सवाल पर उलझन में फंस गई है.भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर अंतिम सहमति बनाने की तैयारी में लगी हुई है. पार्टी की योजना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार से शुरू हो रही पांच देशों की आठ दिवसीय विदेश यात्रा और शुक्रवार से होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक से पहले यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए. राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर संघ और बीजेपी में बात अभी तक नहीं बनी है.
बीते दो दिनों से पार्टी नेतृत्व विभिन्न राज्य के लिए नए अध्यक्ष के नामों को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है. उत्तर प्रदेश को लेकर गहन मंथन जारी है.
उत्तर प्रदेश में ओबीसी-दलित समीकरण पर मंथन
उत्तर प्रदेश में भाजपा की रणनीति प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी या दलित वर्ग से किसी चेहरे को आगे लाने की है. हालिया लोकसभा चुनाव में इन वर्गों के बीच पार्टी को समर्थन नहीं मिला, जिस कारण दोनों सामाजिक समूहों के नेताओं पर विचार किया जा रहा है. पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए ये फैसला लिया जा सकता है. दलित समुदाय से जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री रमाशंकर कठेरिया और सांसद विद्यासागर सोनकर शामिल हैं. वहीं, ओबीसी वर्ग से लोध बिरादरी के धर्मपाल सिंह (प्रदेश सरकार में मंत्री), केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, सांसद बाबूराम निषाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का नाम चर्चा में हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन से भी इस विषय पर राय ली है और जल्द ही आखिरी फैसला लेने की उम्मीद लगाई जा रही है.
ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पूर्व सांसद और असम प्रभारी हरीश द्विवेदी के नाम की भी चर्चाएं हैं. हाालांकि आखिरी में किसके नाम पर मुहर लगेगी यह तो वक्त ही बताएगा.