
दिल्ली सरकार के मुताबिक हर पंजीकृत कांवड़ समिति को 1200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी. साथ ही समितियों के खाते में फंड सीधा ट्रांसफर किया जाएगा. दिल्ली सरकार ने सावन के महीने के दौरान कांवड़ यात्रा के लिए कांवड़ समितियों को सीधे आर्थिक मदद देने का फैसला किया है. मंगलवार (24 जून) को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में तय हुआ कि दिल्ली सरकार अब कावड़ समितियों को 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की सहायता सीधे बैंक खाते में देगी साथ ही कावड़ के शिविरों के लिए 1200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी.
वहीं सीएम रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती सरकारों के टेंडर सिस्टम पर निशाना साधते हुए टेंडर प्रक्रिया को खत्म करने का ऐलान किया. साथ ही सीएम ने बताया कि अब से सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है. दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कावड़ शिविर लगाने वाली समितियों को अब सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए सहायता मिलेगी और सहायता उन्हीं पंजीकृत समितियों को मिलेगी जिनके पास पैन नंबर, बैंक विवरण और पंजीकरण प्रमाणपत्र होंगे.
कांवड़ शिविरों को 4 श्रेणियों में बांटा
दिल्ली सरकार के मुताबिक कांवड़ शिविरों को उनके टेंटिंग एरिया और शिविर की अवधि के अनुसार 4 श्रेणियों में बांटा जाएगा और सहायता राशि की न्यूनतम सीमा 50,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये तय की गई है. साथ ही कुल अनुदान राशि का 50 प्रतिशत एडवांस में दिया जाएगा, बाकी का 50 प्रतिशत उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी), एसडीएम या तहसीलदार द्वारा सत्यापित जियो-टैग फोटो और ऑडिट दस्तावेज मिलने के बाद 3 महीने के भीतर दिया जाएगा. साथ ही पूरी प्रक्रिया ‘फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व’ के आधार पर होगी और किसी भी शिविर के लिए स्थानीय सांसद या विधायक की अनुशंसा अनिवार्य होगी.
बनाई धार्मिक उत्सव समिति
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के मुताबिक इस पूरे आयोजन की निगरानी और सहयोग के लिए मुख्यमंत्री धार्मिक उत्सव समिति बनाई जाएगी और इस समिति के अध्यक्ष दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति व पर्यटन कपिल मिश्रा होंगे. जिसके चार विधायक भी शामिल होंगे. साथ ही सभी जिलों में डीएम की देखरेख में सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाएगा, जहां 72 घंटे के भीतर अनुमति और एनओसी जारी होगी.
की जाएंगी ये व्यवस्था
दिल्ली सरकार के मुताबिक राजस्व मंडलायुक्त या सचिव की अध्यक्षता में अंतर-विभागीय समन्वय बैठकें होंगी, जिनमें दिल्ली पुलिस, जल बोर्ड, दमकल सेवा, एमसीडी, स्वास्थ्य, डीडीए, परिवहन और बिजली विभाग शामिल होंगे और कांवड़ समितियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे शिविर में वाटरप्रूफ टेंट, बिस्तर, मंच, बैरिकेडिंग, सीसीटीवी, पंखा, कूलर, लाइट, फायर सेफ्टी यंत्र और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था करें.
1200 यूनिट मिलेगी फ्री बिजली
दिल्ली सरकार के मुताबिक हर पंजीकृत समिति को 1200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी और सरकार के मुताबिक हर साल कावड़ में दौरान ऐसा देखा गया कि 1000 यूनिट से ज़्यादा बिजली किसी कावड़ शिविर ने नहीं खर्च की. साथ ही दिल्ली सरकार के मुताबिक एसडीएम या तहसीलदार कावड़ शिविर का जियो-टैग फोटो के साथ सत्यापन करेंगे और आयोजन की तारीख से तीन महीने के भीतर बिल और ऑडिट रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा साथ ही गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा करने वाली समितियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
‘पहले होता था भ्रष्टाचार’
दिल्ली सरकार के मुताबिक यात्रा के दौरान यातायात और सुरक्षा के लिए संबंधित एजेंसियों और पुलिस के साथ योजना तैयार की गई है और कावड़ के दौरान पैदल यात्रा कर रहे शिवभक्तों की सुविधा के लिए सिविल डिफेंस और होमगार्ड के वॉलंटियर्स की तैनाती होगी. दिल्ली सरकार का दावा है कि यह फैसला ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की नीति के तहत लिया गया है और पिछली सरकार में चुनिंदा ठेकेदारों के जरिये टेंडर प्रणाली में भ्रष्टाचार होता था जिसमें करोड़ों खर्च होने के बावजूद शिवभक्तों को ज़मीनी लाभ नहीं मिलता था साथ ही समितियों को अंत तक टेंट व अन्य सुविधाओं के लिए इंतज़ार करना पड़ता था.
ऐसे में दिल्ली सरकार के मुताबिक नई नीति के तहत पारदर्शिता, सरलता और समयबद्धता के साथ सीधी आर्थिक मदद दी जाएगी। और यह धार्मिक आयोजन वर्षों से भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का शिकार रहा है, जिसे अब खत्म किया जाएगा साथ ही शिवभक्तों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी लेकिन जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना प्राथमिकता है.