
राजस्थान की राजनीति में बयानबाजी का पारा फिर चढ़ गया है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के हालिया बयानों को लेकर जोरदार पलटवार किया है। खर्रा ने डोटासरा को ‘अहंकारी’ बताते हुए कहा कि “अहंकार न तो रावण का रहा, न कंस का।” इसके साथ ही उन्होंने एक अच्छे डॉक्टर से मिलने की सलाह भी दे डाली। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
डोटासरा के आरोपों के जवाब में मंत्री खर्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आजाद भारत का पहला संविधान संशोधन लोकतंत्र की आवाज दबाने के लिए किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जयपुर, कोटा और जोधपुर को सिर्फ तुष्टिकरण और राजनीतिक लाभ के लिए दो भागों में बांटा, जबकि भजनलाल सरकार ने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन शहरों में एक-एक निकाय के रूप में चुनाव करवाने का निर्णय लिया है।
“डोटासरा तय नहीं कर सकते चुनाव प्रक्रिया”
मंत्री ने स्पष्ट किया कि वार्डों के सीमांकन का काम जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची तैयार कर चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि जब विभागीय विषयों पर मंत्री नहीं बोलेगा तो क्या डोटासरा बोलेंगे? मंत्री ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के तहत निकाय चुनाव की इच्छा भी जताई।
गहलोत-पायलट विवाद पर भी ली चुटकी
मंत्री खर्रा ने डोटासरा को पायलट और गहलोत के पुराने विवाद की याद दिलाते हुए कहा कि या तो वो माने कि उनके गुरु गहलोत सही थे और पायलट नाकारा हैं, या फिर माने कि आज पायलट मजबूत हैं तो पहले गहलोत गलत थे। दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं।
पायलट-गहलोत को लेकर भी हमला
डोटासरा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वे मजबूत नेता हैं तो उन्हें गर्व से कहना चाहिए कि या तो उनके गुरु (गहलोत) गलत थे, जिन्होंने अपने साथी (पायलट) को निकम्मा कहा, या फिर उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि उनके गुरु सही हैं और जिन लोगों को वे आज मजबूत मानते हैं, वे निकम्मे थे। ये दोनों विपरीत बातें एक साथ नहीं हो सकतीं।