
डिफेंस और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास देश में सबसे ज्यादा संपत्ति है। जानिए राजस्थान में कितनी संपत्तियों का मालिक है बोर्ड और इनमें से कौनसी ऐसी संपत्तियां हैं, जो विवादों में घिरी है।
देश की संसद में आज वक्फ बिल को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। संसद में बिल पास होने से पहले 8 घंटे लंबी चर्चा होगी। राजस्थान में भी वक्फ बिल को लेकर लगातार नेताओं के बयान आ रहे हैं। बिल के पक्ष में सबसे ज्यादा बयान यह आ रहे हैं कि वक्फ के पास अथाह संपत्तियां हैं और इस पर माफिया पनप रहे हैं। यहां तक कि कई मुस्लिम संगठन भी इस बिल को लाए जाने का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में राजस्थान में वक्फ बोर्ड की क्या स्थिति है और इसके पास कितनी संपत्तियां यह जानना रोचक होगा।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन डॉ. खानू खान बुधवाली ने राजस्थान वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का ब्योरा अमर उजाला से शेयर किया। इसमें बताया गया है कि यहां बोर्ड के पास 19 हजार 44 संपत्तियां ऑकाफ रजिस्टर में पंजीकृत हैं। इनमें से 17 हजार 415 संपत्तियां राजस्थान राजपत्र में प्रकाशित व 1629 राजपत्र प्रकाशन के पश्चात दर्ज हैं। इन वक्फ संपत्तियों से बोर्ड को सालाना 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का किराया आता है।
अतिक्रमण के 706 प्रकरण वक्फ बोर्ड में पेंडिंग
वक्फ बोर्ड की इन संपत्तियों में से 706 पर अतिक्रमण बताया गया है, जिन पर वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समक्ष सुनवाई हो रही है। इनमें से 316 प्रकरण निस्तारित किए बताए गए हैं।
282 कमेटियां करती हैं संपत्ति का प्रबंधन
जानकारी के अनुसार राजस्थान में वक्फ की कुल संपत्तियों का प्रबंधन देखने के लिए बोर्ड द्वारा 282 कमेटियां बनाई गई हैं। इनमें से 177 कमेटियां ऐसी हैं, जिनकी सालाना आय 1 लाख रुपए से अधिक है। वक्फ की ऐसी संपत्तियां, जिनकी वार्षिक आय 5 हजार रुपए से अधिक है, उनके प्रबंधकों द्वारा वार्षिक आय से 7 प्रतिशत अंशदान वक्फ बोर्ड को दिए जाने का प्रावधान है।
14 सरकारी विभागों का 42 करोड़ किराया पेंडिंग
वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों के अनुसार राजस्थान में उसकी 44 संपत्तियों पर 14 सरकारी दफ्तर चल रहे हैं। इनमें से 11 ऑफिसेज का किराया पीडब्ल्यूडी की ओर से निर्धारित किया जा चुका है। इन पर 2012 से अब तक कुल 42 करोड़ 73 लाख रुपए का किराया बाकी है। वक्फ संपत्तियों पर जिन सरकारी विभागों के दफ्तर चल रहे हैं, उनमें शिक्षा विभाग, विधि विभाग, नगरीय विकास विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, चिकित्सा विभाग, राजस्व विभाग, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पुरातत्व विभाग, गृह विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, पशुपालन विभाग शामिल हैं।
इनके अलावा वक्फ की जमीन पर जोधपुर, कोटा, चूरू में रेजिडेंशियल कॉलोनी, जयपुर, कोटा, जोधपुर, टोंक, करौली, झालावाड़ और हनुमानगढ़ में बाजार भी बने हुए हैं।
राजकुमार रौत ने दिया बड़ा बयान
इधर बांसवाड़ा और डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रौत ने वक्फ बोर्ड कानून को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। सांसद ने इसे भारतीय जनता पार्टी की साजिश करार देते हुए इसे अल्पसंख्यकों की जमीन हड़पने का एक तरीका बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून देश में नफरत का माहौल पैदा करेगा और समुदायों के बीच तनाव बढ़ाएगा। वक्फ बोर्ड की जमीन किसी से छीनी हुई नहीं है बल्कि दान में मिली हुई है। सरकार को इसे हड़पने का कोई अधिकार नहीं बनता। उन्होंने कहा कि यह कानून गलत है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।