
राजस्थान विधानसभा में आज रावी और व्यास नदी से राजस्थान के हिस्से का पानी पंजाब से लेने का मुद्दा उठा। बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने सरकार से पूछा कि राजस्थान के हिस्से का पानी लेने के लिए सरकार क्या कर रही है?
राजस्थान और पंजाब के बीच जल समझौता विवाद का मुद्दा एक बार फिर विधानसभा में गूंजा। बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने बुधवार को विधानसभा में सरकार से पूछा कि रावी-व्यास नदी राजस्थान के हिस्से का पानी लेने के लिए 31 दिसंबर 1981 में जो समझौता किया गया था उसका क्या हुआ। सराफ ने कहा कि पंजाब सरकार ने अपनी विधानसभा में नया समझौता अधिनियम लाकर राजस्थान के साथ हुए जल समझौते को निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस समझौता अधिनियम को अमान्य कर दिया।
सरकार की तरफ से जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने विधानसभा को बताया कि वर्तमान में रावी-व्यास समझौते के तहत राजस्थान को 8 एमएफ पानी मिल रहा है, जबकि समझौता 8.7 एमएफ का किया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी इस समझौते के पालन के लिए पंजाब सरकार और नोर्दन जोनल काउंसिल में कई बार इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि हाल में राज्य सरकार की तरफ से इस संबंध में नोर्दन जोनल काउंसिल को फिर से पत्र लिखा गया है।
इस पर सराफ ने कहा कि इस मामले में सरकार को बाखड़ा नांगल बोर्ड में राजस्थान का एक प्रतिनिधि नियुक्त करवाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए एक एसीएस स्तर का नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया जाना चाहिए। इस पर जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इस पर सरकार विचार करेगी।