हरियाणा और पंजाब में पानी के बंटवारे को लेकर विवाद कई सालों से चलता आ रहा है। इस बीच हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा के लिए यह एक गंभीर विषय है, लेकिन पंजाब इसपर काम नहीं कर रहा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एसवाईएल नहर के मुद्दे को लेकर पंजाब सरकार पर निशाना साधा है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि सतलुज यमुना संपर्क (एसवाईएल) नहर का मुद्दा राज्य के लिए गंभीर बना हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने इस मामले में कोई प्रगति नहीं की है। दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए नहर के निर्माण को लेकर मतभेद चल रहा है। परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर नहर पंजाब में तथा 92 किलोमीटर नहर हरियाणा में बनायी जानी थी। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में यह परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे स्थगित कर दिया।
पंजाब से नहीं मिला पानी
न्यायमूर्ति विनीत सरन की अध्यक्षता में रावी-ब्यास जल पंचाट के साथ यहां बैठक के दौरान सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि एसवाईएल मुद्दा हरियाणा के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने पहले उनके राज्य के पक्ष में फैसला दिया था। एक आधिकारिक बयान में उन्होंने कहा कि हरियाणा को हालांकि अभी तक पंजाब से पानी का उसका उचित हिस्सा नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा ने अपने हिस्से के पानी की मांग कई मंचों पर उठाई है, लेकिन पंजाब सरकार ने इस मामले में कोई प्रगति नहीं की है। पंजाब के सीएम ने क्या कहा
पंचाट की स्थापना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच नदी जल विवादों के निपटारे के लिए की गई थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 19 फरवरी को पंचाट को बताया कि उनके राज्य के पास अन्य राज्यों के साथ साझा करने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है तथा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार पानी की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है।