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अमेरिका से डिपोर्ट किए गए हरियाणा के युवाओं को अमृतसर एयरपोर्ट से लाने के लिए कैदी वैन भेजने पर बवाल मच गया है। इस पर पंजाब के मंत्री ने हरियाणा के मंत्री अनिल विज पर जमकर जुबानी हमला किया है।
अमेरिका से निर्वासित 157 अवैध प्रवासी रविवार को भी अमृतसर पहुंचे। अमेरिकी सेना का ग्लोबमास्टर सी-17 विमान रविवार आधी रात करीब 12 बजे उनको लेकर श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा। इन सभी को हथकड़ियां लगाकर अमेरिकी सेना की देखरेख में भारत लाया गया। इससे पहले शनिवार को भी 116 भारतीय अमृतसर लौटे थे, जिनमें 33 हरियाणा के थे।
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए हरियाणा के लोगों को लाने के लिए हरियाणा सरकार की तरफ से शनिवार को अमृतसर एयरपोर्ट पर कैदी वैन भेजी गई थी। इस पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भड़क गए। उन्होंने कहा कि यह गलत है। युवाओं के साथ ही इस तरह का बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए। धालीवाल ने हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज पर भी हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार को बस भेजनी चाहिए थी। क्या उनके पास कोई ढंग की बस नहीं है। धालीवाल ने कैदी वैन की वीडियो भी बनाई और कहा कि पिछली बार भी भाजपा सरकार की तरफ से ऐसा ही किया गया था। वह यहां आकर पंजाब सरकार इंतजाम चेक कर सकते हैं, जिससे उनको फर्क पता चल जाएगा। धालीवाल ने कहा कि मुझे देखकर बहुत दुख हुआ है। यह युवा कोई अपराधी नहीं है।
डिपोर्ट करते हुए मानवीय अधिकारों का ध्यान रखना चाहिए : विज
पंजाब के मंत्री धालीवाल के बयान पर परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है कि किसने क्या कहा, लेकिन वह विभागीय अधिकारियों से इस बारे में पता करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की मर्जी है कि वो अवैध तरीके से आए लोगों को रखे या न रखे। मगर डिपोर्ट करते हुए मानवीय अधिकारों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
डिपोर्ट होकर आया सुखचैन किसी से भी बात नहीं कर रहा
अमेरिका से डिपोर्ट होकर घर लौटा पंजाब के खडूर साहिब के गांव घरियाला का सुखचैन सिंह अब इस कदर परेशान है कि वह किसी से भी बात करने के लिए तैयार नहीं। उसकी मां कुलदीप कौर, पत्नी सर्बजीत कौर व भाई गुरलाल सिंह लगातार सुखचैन सिंह को हिम्मत रखने के लिए कह रहे हैं। परिवार ने प्रशासन से मांग की है कि उनकी आर्थिक मदद की जाए, ताकि कर्ज उतर सके। कुलदीप कौर ने कहा कि जमीन बेचकर व 30 लाख का कर्ज लेकर वर्ष 2022 में सुखचैन सिंह को विदेश भेजा था। उम्मीद थी कि बेटा विदेश जाकर काम करेगा व घर की गरीबी दूर होगी। मेक्सिको का बार्डर पार कर सुखचैन अमेरिका पहुंचा, लेकिन वहां की सरकार ने सुखचैन को बेड़ियों में जकड़कर अमेरिका से डिपोर्ट किया जैैसे वह कोई खतरनाक अपराधी हो। परिवार भले ही इस बात से खुश है कि सुखचैन सुरक्षित वापस घर लौट आया हैै, लेकिन अब सुखचैन ने खुद को कमरे में बंद कर लिया है। वह किसी से भी बात नहीं कर रहा। सुखचैन व उसका परिवार इस बात से परेशान है कि सिर पर चढ़ा लाखों रुपये का कर्ज अब कैसे उतरेगा।