मुख्यमंत्री की घोषणा के तीन साल बाद भी नहीं बना 313 मीटर लंबा पुल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के तीन साल बाद भी आनेकी-हेत्तमपुर का पुल नहीं बन पाया है। यह वाया बिहारीगढ़ रोड पुल वर्ष 2018 में भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। चार साल बाद भी जब पुल नहीं बन पाया तो स्थानीय विधायक आदेश चौहान के प्रयास से सीएम ने इस पुल को बनाने की घोषणा की थी। लोगों के आवागमन के लिए फिलहाल जिला-प्रशासन ने वैकल्पिक रुप से अस्थायी वैली ब्रिज पुल बनाया है। हल्के वाहन इसी पुल से होकर गुजरते हैं। जबकि भारी वाहनों को पुल के नीचे से डायवर्जन कर सूखी नदी से निकाला जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल न बनने के कारण लोगों के भारी वाहनों के आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस पुल से प्रतिदिन हजारों लोग सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र और जिलाधिकारी कार्यालय समेत अपना काम लेकर विकास भवन पहुंचते हैं। पुल का निर्माण हो तो लोगों को भी सहूलियत हो जाए। हालांकि यह पुल सीएम धामी की घोषणा में शामिल हैं।

वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनेकी-हेत्तमपुर में प्रधानमंत्री आवास एवं शहरी विकास योजना के तहत जिले में बनने वाले 2464 भवनों के शिलान्यास के दौरान पुल बनाने की घोषणा की थी। यहीं नहीं सीएम ने वर्ष 2010 में बने इस पुल को टूटना भी आश्चर्य जनक बताया था। सीएम का दावा था कि एक कमेटी बनाकर इस पुल की जांच कराई जाएगी। कि आखिर इतने कम समय में पुल क्यों टूट गया। बता दें कि इस पुल के निर्माण के लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआइआर) वैज्ञानिकों की टीम भी आई थी। इन वैज्ञानिकों के ऊपर पुल की सही जांच कर रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी थी। ताकि पुल की मरम्मत कराई जा सके वैज्ञानिकों की जांच के ऊपर ही नए पुल बना या मरम्मत करना टिका था। वैज्ञानिकों ने इस पुल की विजुअल टेस्टिंग की थी। पुल के सैंपल भी लिए गए थे। दोनों पिलरों को वैज्ञानिकों ने विजुअल टेस्टिंग में तकनीकी तौर पर सही पाया था। वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट को लोनिवि को सौंप दी थी। बावजूद इसके आज तक इसमें कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है।

वर्ष 2018 में पहाड़ों पर हुई भारी बरसात के कारण आनेकी-हेत्तमपुर की सूखी नदी ऊफान पर आने के कारण हेत्तमपुर की तरफ से तीन पिलर जमीन का कटाव होने के कारण धस गए थे। जिला-प्रशासन ने पुल से भारी वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। इस कारण करीब 30 गांव का संपर्क इस पुल से टूट गया था। स्थानीय लोगों की शिकायत और दूरदराज के लोगों को 30 किलोमीटर अधिक घूम कर आने के कारण लोगों ने शिकायत डीएम से की थी। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद लोगों की सहूलियत के देखते हुए लोनिवि ने अस्थायी पुल बनाया था। इस पुल पर दो पहिया और हल्के चार पहिया वाहन जाने के लिए खोल दिया गया। ताकि इस पुल से आवागमन करने वालों को दूर दराज के चक्कर लगाकर नहीं आना पड़े। लोनिवि ने मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शासन को पुल का नक्शा बनाने के लिए करीब 35-40 लाख रुपए का स्टीमेट भेजा था। पुल का ब्लूप्रिंट भी जारी हो गया था। लेकिन पुल का काम शुरू नहीं हो पाया था। वर्ष 2018 से इस काम को रोक दिया गया। 2023 के अंत में इस पुल को किसी तरह लोगों के आगमन के लिए अस्थायी पुल बनाकर यातायात सुचारु कर दिया गया। लोगों की मांग है कि भारी वाहनों को लंबी दूरी तय कर सिडकुल में लाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि पुल का निर्माण जल्दी हो, पुल का निर्माण होना बेहद जरूरी है। लोगों की मांग की है कि इस अस्थायी पुल को लोगों के लिए स्थाई बनाया जाए। ताकि पुल का प्रयोग सब लोग कर सकें।

वर्ष 2018 में बारिश के पानी में धस गया था पुल

वर्ष 2010 में लोक निर्माण विभाग द्वारा करीब आठ करोड़ से बनाया गया था। जुलाई माह 2018 में भारी बारिश के कारण पुल के दो पैनल धंस गए थे । यहीं नहीं बरसात में पुल के नीचे दैवीय आपदा से बीस लाख रुपए खर्च कर बनी 300 सौ मीटर लंबी पत्थर की पिचिंग भी बह गई थी। जिस कारण पुल पर दोनों और से भारी वाहन प्रतिबंध कर डायवर्जन पुल भी के नीचे से निकाला गया था। तब से आज तक हल्के वाहनों को अस्थाई पुल के ऊपर और भारी वाहनों को पुल के निचे सूखी नदी के निकाले जा रहे हैं। सेवा अध्यक्ष हिमेश कपूर ने कहा कि कांवड़ मेले के दौरान वाया बिहारीगढ़ रोड बंद हो जाता है। उस रोड की काफी समय से दरकार है। अगर 2025 में सरकार इस पर मुहर लगा देती है। तो आने वाले समय में उनके उद्योग बंद नहीं होंगे। हरिद्वार जनपद को भी एक नया डायवर्जन मिल जाएगा। आनेकी-हेत्तमपुर का पुल पिछले आठ वर्ष से हेवी ट्रेफिक के लिए बंद पड़ा है। कावड़ के दौरान 15 दिन तक उद्योगों में कच्चा-पक्का माल आने जाने के लिए रोड को बंद करना पड़ता है। कुंभ मेला, सोमवती अमावस पर भी रोड बंद हो जाते हैं। वह कनेक्टिविटी पुल बनने के बाद बंद नहीं होगी। सरकार से उद्योगपति पहले भी वाया बिहारीगढ़ पुल बनाने की मांग कर चुके हैं। बावजूद इसके इस पुल पर कार्य नहीं हो पा रहा है।

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