CM भजनलाल से ‘बाबू’ नाराज, वेतन विसंगति वाली खेमराज कमेटी की 800 पेज के रिपोर्ट में ठन-ठन गोपाल

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में अनियमिता से जुड़ी खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। कर्मचारी संगठन यह कहकर इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं कि बरसों आंदोलन चलने के बाद भी उनकी कोई मांग नहीं मानी गई। विधानसभा सत्र से पहले कर्मचारी संगठनों की नाराजगी सरकार को भारी पड़ सकती है।
राजस्थान में छठां वेतनमान लागू होने के बाद आई वेतन-भत्तों से जुड़ी विसंगतियां दूर करने के लिए तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने तीन नवंबर 2027 को सबसे पहले डीसी सामंत कमेटी गठित की थी। कमेटी के गठन के बाद अगले साल राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हो गया। सामंत कमेटी ने अपने गठन के 20 महीने बाद गहलोत सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। गहलोत सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। इसके बाद तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने वेतन विसंगतियों के परीक्षण के लिए पांच अगस्त 2021 को रिटायर्ड आईएएस खेमराज की अध्यक्षता में नई कमेटी बना कर सामंत कमेटी का काम इसे दे दिया। मौजूदा भजनलाल सरकार ने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को कैबिनेट में ले गई और परीक्षण के बाद इसे मंजूरी दे दी। वित्त विभाग ने दो वोल्यूम में इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। इसमें पहला वोल्यूम वेतन विसंगतियों का है और दूसरा भत्तों से जुड़ी मांगों को लेकर है। वेतन विसंगतियों की बात करें तो बड़े संवर्गों की लगभग सभी प्रमुख मांग अनसुनी कर दी गई है। वहीं, भत्तों में भी कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया गया है। हालांकि, सरकार ने पिछले बजट में यह घोषणा की थी कि वेतन विसंगतियों और वेतन सुधार संबंधित सिफारिशों को एक सितंबर 2024 से लागू किया जाएगा।प्रदेश के 9.5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन-भत्तों में विसंगतियों का परीक्षण करने वाली खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होते ही बवाल शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठनों ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए पूरी तरह खारिज कर दिया है कि इसमें उनकी कोई मांग नहीं मानी गई। खास तौर पर कर्मचारियों के सबसे बड़े बाबू संवर्ग की लगभग सभी मांगों को कमेटी ने खारिज कर दिया है। ऐसे में अब विधानसभा के बजट सत्र से पहले कर्मचारी आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं। 

मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन
इसमें 17 संगठनों ने सरकार को अपनी 40 डिमांड्स कमेटी को सौंपी थी। इनमें प्रमुख डिमांड मंत्रालयिक संवर्ग के लिए सचिवालय पेटर्न, प्रमोशन में अनुभव की शिथिलता, कॉडर रिस्ट्रक्चर और शुरुआती ग्रेड पे 3600 किया जाना शामिल था।

निजी सहायक संवर्ग- कोई मांग नहीं मानी
निजी सहायक संवर्ग ने पदोन्नति के चैनल 3 से बढ़ाकर 5 करने की मांग की थी। वहीं, प्रमुख निजि सचिव के लिए एल 21 का पद मांगा था। इसके साथ निजी सचिव की ग्रेड पे 6000 से बढ़ाकर 6600 करने की मांग की थी। कॉमन डिमांड योग्यता 12वीं से बढ़ाकर ग्रेजुएट करने की थी। एलडीसी का प्रमोशन तीन साल में होता है, ग्रेजुएट पीए का प्रमोशन पांच साल में होता है। जबकि एलडीसी एल-5 में आते हैं और पीए एल 10 में आते हैं। इसके अलावा यह भी मांग थी कि जितनी भी कलेक्ट्रेट हैं, इनमें पीए का पद एल है। इनका अगला प्रमोशन एल-12 पर होता है, जिसमें वह अतिरिक्त निजी सचिव का पद पर जाते हैं। इसमें इसमें ऑप्शन के रूप में तहसीलदार का पद मांगा गया था।

सब ऑर्डिनेट अकाउंट्स सर्विसेज- पांचों मांग खारिज
जूनियर अकाउंटेंट की पे लेवल एल-10 से बढ़ाकर एल-11 करने, थर्ड एसीबी एल 13 की जगह एल 14 करने तथा प्रमोशन में अनुभव की छूट तथा स्टेट सर्विस में प्रमोशन कोटा 50:50 से बढ़ाकर 80:20 देने तथा एएओ-2 की पोस्ट को राजपत्रित करने की मांग की गई थी। कमेटी ने इनमें से कोई भी मांग नहीं मानी।

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