भारतीय चेतना के ‘मन’ नायक ‘अटल’

“मैं तेजपुंज, तमलीन जगत में फैलाया मैंने प्रकाश।
जगती का रच करके विनाश, कब चाहा है निज का विकास।।”

विश्व बंधुत्व की भावना से ओत-प्रोत ये पंक्तियां भारतीय राजनीति के शलाका पुरुष, अजातशत्रु, कवि हृदय ‘जननायक’ अटल बिहारी वाजपेई जी की हैं।

अटल जी भारतीय सनातन परम्परा में अनन्य उपासक एवं भारतीय मूल्यों के संरक्षक रहे हैं। वे स्वयं राजनीति को काजल की कोठरी कहते रहे, किन्तु इस काजल की कोठरी से निष्कलंक बाहर आ पाना उनके ही बूते की बात थी।

आज जब राजनीति में भाषाई एवं लोकतांत्रिक मर्यादाएं तार-तार होती हैं, ऐसे में अटल जी और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। वे विपक्ष में रहते हुए भी सत्ता पक्ष के सकारात्मक कदमों की प्रशंसा से नहीं चूकते, राजनैतिक लाभ से इतर उनमें राष्ट्र प्रथम की भावना सदैव सर्वोपरि रही। वे मतभेद को खुले हृदय से स्वीकारते हैं, किन्तु मनभेद से मीलों दूर रहते हैं।

वे समष्टि (समाज) के लिए व्यष्टि (निज) को न्योछावर करने को तत्पर रहते हैं।

अटल जी भारतीय चेतना प्रखर स्तम्भ हैं, वे राष्ट्र हित में पहल करना भी जानते हैं और राष्ट्र के स्वाभिमान से समझौता करना भी उन्हें कदापि स्वीकार नहीं है।

वे हास परिहास को पूर्ण स्थान देते हैं, किन्तु किसी के भी उपहास को कभी स्थान नहीं देते।

राजनीतिज्ञों को शब्द चयन अटल जी से सीखना चाहिए, वे आलोचना करते समय भी संयमित शब्दों का प्रयोग करते हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए।

भारत जोड़ो योजना

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सड़कों के माध्यम से देश को जोड़ने की योजना बनाई। इसके अंतर्गत उन्होंने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना प्रारंभ की। इसके साथ-साथ उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना प्रारंभ की। इन योजनाओं के कारण विकास कार्यों की गति तीव्र हुई। इससे आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिला। इन योजनाओं को बहुत सराहा गया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने नदियों को जोड़ने की योजना पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने वर्ष 2003 में एक टास्क फोर्स गठित किया, परंतु भारी विरोध के कारण इस संबंध में कार्य प्रारंभ नहीं हो सका।

संचार क्रांति को प्रोत्साहन

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने देश में संचार क्रांति को बढ़ावा दिया। उनकी सरकार ने वर्ष 1999 में भारत संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को समाप्त कर दिया तथा नई टेलिकॉम नीति लागू की। इसके कारण उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर मोबाइल सेवा उपलब्ध हो सकी।

सर्व शिक्षा अभियान

वाजपेयी सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने वर्ष 2000-01 में छह से 14 वर्ष के बालकों को निशुल्क शिक्षा देने का अभियान प्रारंभ किया। इससे बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई। वर्ष 2000 में लगभग 40 प्रतिशत बच्चों ने बीच में पढ़ाई छोड़ी थी। वर्ष 2005 में केवल 10 प्रतिशत बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी। उन्होंने इस अभियान के ली गीत भी लिखा था।

विनिवेश का प्रारंभ

अटलजी के शासनकाल में देश में निजीकरण को प्रोत्साहन दिया गया। उन्होंने वर्ष 1999 में विनिवेश मंत्रालय के रूप में एक नए मंत्रालय का गठन किया। अरुण शौरी को इसका मंत्री बनाया गया। इस मंत्रालय ने भारत एल्यूमिनियम कंपनी, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक एवं विदेश संचार निगम लिमिटेड आदि सरकारी कंपनियों के विक्रय की प्रक्रिया प्रारंभ की। इसके साथ-साथ उन्होंने बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा को 26 प्रतिशत तक किया था। वर्ष 2015 में मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया।

आतंकवाद निरोधक अधिनियम

अटल सरकार ने आतंकवाद निरोधक अधिनियम 2002 लागू किया था। यह अधिनियम देश में हो रही कई आतंकवादी घटनाओं विशेषकर संसद पर हमले के पश्चात् पारित किया गया था। यह अधिनियम, आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1987 के स्थान पर लागू किया गया था। केवल दो वर्ष की समयावधि में अटल सरकार ने 32 संगठनों पर पोटा के अंतर्गत प्रतिबंध लगाया था। देश के सुरक्षा की दृष्टि से इसे बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाता है।

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