रमा एकादशी पर करें विष्णु जी के नामों का जप

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन पर प्रभु श्री हरि की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना व व्रत करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में आप एकादशी की पूजा के दौरान विष्णु जी के 108 नाम का जप कर सकते हैं, जिससे साधक को विष्णु जी की असीम कृपा प्राप्त हो सकती है।

श्री हरि विष्णु के 108 नाम

1) ऊँ श्री विष्णवे नम:

2) ऊँ श्री परमात्मने नम:

3) ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:

4) ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:

5) ऊँ श्री केशवाय नम:

6) ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:

7) ऊँ श्री ईश्वराय नम:

8) ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:

9) ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:

10) ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:

11) ऊँ श्री कृष्णाय नम:

12) ऊँ श्री प्रजापतये नम:

13) ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:

14) ऊँ श्री सुरेशाय नम:

15) ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:

16) ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:

17) ऊँ श्री अच्युताय नम:

18) ऊँ श्री वासुदेवाय नम:

19) ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:

20) ऊँ श्री नर-नारायणा नम:

21) ऊँ श्री जनार्दनाय नम:

22) ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:

23) ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:

24) ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:

25) ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:

26) ऊँ श्री माधवाय नम:

27) ऊँ श्री महाबलाय नम:

28) ऊँ श्री गोविन्दाय नम:

29) ऊँ श्री प्रजापतये नम:

30) ऊँ श्री विश्वातमने नम:

31) ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:

एकादशी तिथि को सभी तिथियों में विशेष महत्व दिया जाता है। यह तिथि साधक को उत्तम फल प्रदान करती है। ऐसे में इस दिन पर भगवान के निमित्त व्रत और पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए।

32) ऊँ श्री नारायणाय नम:

33) ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:

34) ऊँ श्री महेन्द्राय नम:

35) ऊँ श्री वामनाय नम:

36) ऊँ श्री अनन्तजिते नम:

37) ऊँ श्री महीधराय नम:

38) ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:

39) ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:

40) ऊँ श्री दामोदराय नम:

41) ऊँ श्री कमलापतये नम:

42) ऊँ श्री परमेश्वराय नम:

43) ऊँ श्री धनेश्वराय नम:

44) ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:

45) ऊँ श्री आनन्दाय नम:

46) ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:

47) ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:

48) ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:

49) ऊँ श्री भगवते नम

50) ऊँ श्री शान्तिदाय नम:

51) ऊँ श्री गोपतये नम:

52) ऊँ श्री श्रीपतये नम:

53) ऊँ श्री श्रीहरये नम:

54) ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:

55) ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:

56) ऊँ श्री वाराहय नम:

57) ऊँ श्री नरसिंहाय नम:

58) ऊँ श्री रामाय नम:

59) ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:

60) ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:

61) ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :

एकादशी की पूजा के दौरान भगवान विष्णु के 108 नामों का जप करने से साधक पर विष्णु जी की दया दृष्टि बनी रहती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

62) ऊँ श्री केश्वाय नम:

63) ऊँ श्री धनंजाय नम:

64) ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:

65) ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:

66) ऊँ श्री लोकनाथाय नम:

67) ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:

68) ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:

69) ऊँ श्री एकपदे नम:

70) ऊँ श्री सुलोचनाय नम:

71) ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:

72) ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:

73) ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:

74) ऊँ श्री योगिनेय नम:

75) ऊँ श्री धनुर्धराय नम:

76) ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:

77) ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम

78) ऊँ श्री अक्रूराय नम:

79) ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:

80) ऊँ श्री भूभवे नम:

81) ऊँ श्री प्राणदाय नम:

82) ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:

हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि जो साधक प्रत्येक एकादशी पर व्रत और विष्णु जी की आराधना करता है, उसके जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित जरूर करने चाहिए, क्योंकि इसके बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना जाता है।

83) ऊँ श्री शंख भृते नम:

84) ऊँ श्री सुरेशाय नम:

85) ऊँ श्री कमलनयनाय नम:

86) ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:

87) ऊँ श्री सनातन नम:

88) ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:

89) ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:

90) ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:

91) ऊँ श्री दयानिधि नम:

92) ऊँ श्री एकातम्ने नम:

93) ऊँ श्री शत्रुजिते नम:

94) ऊँ श्री घनश्यामाय नम:

95) ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:

96) ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:

97) ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:

98) ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:

99) ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:

100) ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:

101) ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:

102) ऊँ श्री प्रभवे नम:

103) ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:

104) ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:

105) ऊँ श्री वामनाय नम:

106) ऊँ श्री हंसाय नम:

107) ऊँ श्री वयासाय नम:

108) ऊँ श्री प्रकटाय नम

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