
राजस्थान में 121 सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। ये सारे शिक्षक एसओजी के रडार आ गए और हाल ही शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट पर एसओजी ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। दरअसल, राजस्थान में साल 2018 और 2022 में राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) के जरिए शिक्षक भर्ती किए गए। तब कांग्रेस सरकार थी। अब भाजपा की सरकार है। साल 2023 में सरकार बदलने के बाद कांग्रेस कार्यकाल में हुई शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच शुरू हो गई।
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पिछले पांच सालों में हुई शिक्षक भर्ती की जांच एसओजी को सौंपी। एसओजी को जांच रिपोर्ट देने के लिए राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने प्रत्येक संभाग में चार सदस्यीय कमेटी गठित की। फिर जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
राजस्थान शिक्षक भर्ती में क्या फर्जीवाड़ा?
जांच में पता चला कि कई अभ्यर्थियों ने न केवल परीक्षा में अपनी जगह डमी अभ्यर्थी बैठाए बल्कि फोटो-हस्ताक्षर तक में हेरफेर कर डाली। कइयों के रीट प्रमाण पत्र और शैक्षणिक डिग्री भी संदिग्ध पाए गए। एक जांच रिपोर्ट पर एसओजी ने कुल 49 और दूसरी जांच रिपोर्ट के आधार पर एसओजी ने 72 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।
जालोर में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
राजस्थान का जालोर जिला सबसे कम साक्षरता दर वाला है, मगर शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा करने में नंबर वन है। जिन 121 शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, उनमें से 114 शिक्षक अकेले जालोर जिले से हैं। जालोर के अलावा जयपुर का एक, पाली के दो व उदयपुर जिले के चार शिक्षक भी शामिल हैं।
मीडिया से बातचीत में राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज कहते हैं कि फर्जी तलाक, डिग्री, दिव्यांगता व खेल प्रमाण पत्रों के जरिए भी नौकरी हासिल करने की शिकायतें मिली हैं। उनकी भी एसओजी से जांच करवा रहे हैं। एक्सपर्ट की भी मदद ले रहे हैं।
उधर, एसओजी का कहना है कि रीट का पेपर शिक्षा संकुल से लीक हुआ था। उसे एक करोड़ रुपए में बेचा गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजस्थान पेपर लीक से जुड़े मनी लॉन्डरिंग केस में जयपुर स्थित निजी स्कूल संचालक राम कृपाल को अरेस्ट कर चुकी है। इस पर 1.03 करोड़ रुपए में पेपर खरीद कर बेचने का आरोप है।