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राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, संस्कार और पहचान से गहरे रूप में जुड़ी हुई है. यह संवाद का माध्यम ही नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं और परंपराओं का प्रतिबिंब भी है. इस सम्मेलन में केंद्रीय सरकारी कार्यालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों से लगभग 3000 अधिकारी शामिल हुए. सरकारी कामकाज में हिंदी के अधिकाधिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को सम्मानित भी किया गया
हिंदी के प्रचार-प्रसार पर मुख्यमंत्री का जोर
मुख्यमंत्री शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी को केवल एक राजभाषा के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखना चाहिए. उन्होंने हिंदी की वैज्ञानिकता और सरलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और यूनेस्को महासम्मेलन की दस आधिकारिक भाषाओं में से एक है
तकनीकी युग में हिंदी की भूमिका
मुख्यमंत्री ने डिजिटल युग में हिंदी के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया और कहा कि तकनीकी प्लेटफार्मों में हिंदी को अधिक समाहित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आज के दौर में हिंदी को डिजिटल प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से अपनाना होगा, ताकि यह भविष्य की पीढ़ियों तक सुगमता से पहुंच सके
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जताया आभार
मुख्यमंत्री शर्मा ने इस भव्य आयोजन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि उनके सहयोग से यह सम्मेलन संभव हुआ, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार और सरकारी कार्यों में इसके अधिकतम उपयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
हिंदी को सशक्त बनाने की अपील
मुख्यमंत्री ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सभी से सहयोग की अपील करते हुए कहा, यह केवल एक संवैधानिक आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय पहचान का अभिन्न हिस्सा है. हमें हिंदी को अधिक से अधिक अपनाने और इसके विकास में योगदान देने का संकल्प लेना चाहिए. इस सम्मेलन में हिंदी भाषा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिनका उद्देश्य हिंदी को प्रशासनिक और तकनीकी क्षेत्रों में अधिक प्रभावी बनाना है