
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में मराठी भाषा साहित्य और संस्कृति के लिए कुसुमाग्रज विशेष केंद्र का उद्घाटन किया। जेएनयू में मराठी भाषा में गरजे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस ने मराठी भाषा को देश की सबसे प्राचीन भाषा कहा।
भाषा संचार का माध्यम है। लेकिन मतभेद का नहीं। मातृभाषा महत्वपूर्ण है। हरेक मराठी व्यक्ति को मराठी भाषा पर गर्व है। मराठी पर जोर देना स्वाभाविक और उचित है। मगर, हमें अन्य भारतीय भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए। मराठी भाषा देश की सबसे प्राचीन भाषा है। भाषा मतभेद का कारण नहीं बन सकती और एक मराठी व्यक्ति ऐसे मुद्दों पर कभी भी संकीर्ण सोच नहीं रख सकता। यह बातें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में मराठी भाषा साहित्य और संस्कृति के लिए कुसुमाग्रज विशेष केंद्र के उद्घाटन के मौके पर कही। साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जेएनयू में छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष सुरक्षा एवं सामारिक अध्ययन केंद्र की आधारशिला भी रखी।
मुख्यमंत्री ने मराठी और हिंदी भाषा के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि यह बहस मराठी और हिंदी की नहीं है। मराठी का कोई विकल्प नहीं है। एक मराठी व्यक्ति को मराठी स्वीकार करनी ही होगी। लेकिन हमारी नीति मराठी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की भी है। उनकी सरकार की नीति मराठी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की रही है।
छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा होगी स्थापित
हमें मराठी सीखनी और अन्य भाषाएं भी जाननी चाहिए। मैं बार-बार कहता हूं कि एक मराठी व्यक्ति कभी भी संकीर्ण सोच वाला नहीं हो सकता। छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमें कभी संकीर्ण सोच रखने की शिक्षा नहीं दी। उनको मानने वाला संकीर्ण सोच का नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जेएनयू परिसर में छत्रपति शिवाजी की एक प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। इस पर कुलगुरु शांतिश्री डी पंडित ने सहमति व्यक्त की।
केंद्र से कर सकेंगे स्नातकोत्तर
बता दें कि कुसुमाग्रज विशेष केंद्र मराठी भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक परंपराओं पर केंद्रित होगा और इसका नाम प्रतिष्ठित मराठी कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता के नाम पर रखा गया है। यह सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए स्नातकोत्तर और प्रमाणपत्र स्तर के कार्यक्रम प्रदान करेगा। जबकि छत्रपति शिवाजी महाराज सुरक्षा और सामरिक अध्ययन विशेष केंद्र मराठा साम्राज्य पर आधारित स्वदेशी सामरिक परंपराओं पर नवाचार करेगा। इस केंद्र के लिए महाराष्ट्र सरकार ने दस करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।