हरियाणा में टूटी सड़कें, पानी की निकासी नहीं होना, बदहाल पार्क, सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशु और सफाई नहीं होना बड़ी समस्याएं हैं, लेकिन चुनावी मुद्दे नहीं बन पा रहे हैं। मतदाताओं से लेकर उम्मीदवार तक इनका जिक्र तक नहीं कर रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनावों में मुद्दे गौण हैं, केवल आरोप-प्रत्यारोप का शोर है। ऐसा नहीं है कि शहरों और कस्बों में समस्याएं नहीं हैं।
समस्याओं को लेकर मतदाताओं में नाराजगी जरूर है, लेकिन ये नाराजगी प्रत्याशियों से सवाल में तब्दील नहीं हो रही है। अधिकतर नेता केवल आपसी छींटाकशी और आरोप प्रत्यारोप में ही उलझे हुए हैं और मतदाता स्थानीय, जातीय समीकरणों में उलझे हुए हैं।
चौधरी बीरेंद्र सिंह और दुष्यंत चौटाला का जुबानी वार जारी
उचाना चौधरी बीरेंद्र सिंह का गढ़ है। इस बार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बृजेंद्र सिंह को यहां से मैदान में उतारा है। बृजेंद्र सिंह की मां पूर्व विधायक प्रेमलता भी प्रचार में जुटी हैं। खास बात ये है कि इतने लंबे समय से यहां से राजनीति करने के बावजूद उचाना में कई समस्याएं हैं। लेकिन बीरेंद्र सिंह परिवार के निशाने पर जजपा के दुष्यंत चौटाला हैं।
दुष्यंत के दोबारा किंगमेकर बनने पर बीरेंद्र सिंह कह चुके हैं कि किंग तो जोकर भी नहीं बन सकते। पलटवार में दुष्यंत चौटाला कह रहे हैं कि और कितनी पार्टियां बदलेंगे। दुष्यंत चौटाला जरूर अपने भाषणों में उचाना को औद्योगिक हब बनाने को लेकर जिक्र कर रहे हैं। साथ ही ये भी कह रहे हैं कि उन्होंने 1200 करोड़ उचाना हलके पर लगाए हैं, जबकि बीरेंद्र सिंह बताएं कभी उचाना के लिए कुछ किया है तो। लोग कहते हैं एक उम्र के बाद बहकी बहकी बात करता है।
सुरेजवाला और लीलाराम आमने-सामने
कैथल में जरूर विकास मुद्दा है। शहरी मतदाता इसे खूब उठा रहे हैं। दस साल पहले मंत्री रहते विकास कार्यों के नाम पर रणदीप सुरजेवाला बेटे के लिए वोट मांग रहे हैं। साथ ही पांच साल विकास कार्य नहीं कराने के आरोप लगाते हुए भाजपा के विधायक लीला राम पर निशाना साध रहे हैं। सुरजेवाला कहते हैं, ये कैसा विधायक बना दिया, जो हमेशा कहता रहता है कि मेरी तो चालदी कोनी।
जिसकी चालदी नहीं उसे क्यों बनाना, जिसकी चलती है और जिसने काम किए हैं उसको बनाओ। काम नहीं होने के चलते ही खासकर शहरी मतदाता मुखर हैं और भाजपा विधायक लीलाराम से नाराज हैं। राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला काम ही पहचान और बंदे में है दम का नारा देकर विकास को मुद्दा बना रहे हैं। वहीं, लीलाराम व्यक्तिगत टिप्पणी से लेकर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं। लीलाराम कह रहे हैं, पिछली बार पिता का दम निकाला था, इस बार बेटे की बारी है।
जुलाना : तीनों नए चेहरे, जमीनी हकीकत नहीं पता
जुलाना हलके की बात करें तो यहां पर कांग्रेस, भाजपा और आप के प्रत्याशी हलके के लिए नए हैं। तीनों का हलके के साथ कोई जमीनी जुड़ाव नहीं है, इसलिए उनको स्थानीय समस्याओं और मुद्दों की स्तही जानकारी नहीं है। हालांकि, तीनों ही नेता एक दूसरे उम्मीदवार पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन पार्टियों और उनकी नीतियों पर जरूर सवाल खड़े कर रहे हैं। पहलवान विनेश फोगाट किसान, पहलवान आंदोलन को लेकर भाजपा पर निशाना साध रही हैं, जबकि भाजपा के कैप्टन योगेश बैरागी कांग्रेस के पुराने कार्यकाल पर निशाना साध रहे हैं।
कलायत में विकास नहीं लिपस्टिक-पाउडर की चर्चा ज्यादा
हिसार के सांसद जेपी अपने विवादित बयानों को लेकर पहले से ही चर्चित हैं, लेकिन इस बार वह महिलाओं को लेकर दिए गए बयान लिपस्टिक लाली लगाने के मामले को लेकर सुर्खियों में हैं। जेपी अपने बेटे विकास सहारण को विधानसभा चुनाव पहुंचाने के लिए ताकत लगाए हुए हैं। लेकिन जेपी के बयानों में विकास कार्य गौण हैं और वह केवल और केवल अपने विरोधियों पर हमले बोल रहे हैं। इसी प्रकार, कांग्रेस से बागी निर्दलीय अनिता ढुल जेपी की मानसिकता पर सवाल उठा रही हैं। श्वेता ढुल तो जेपी को दाढ़ी तक कटवा लेने के लिए बयान देकर पलटवार किया है।
स्थानीय, जाति और गोत्र तक मुद्दा
मतदाताओं के रुझान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह विकास की बजाय स्थानीय, जाति और गोत्र तक के नेता को तवज्जो दे रहे हैं। हिसार के सांसद जेपी के कलायत हलके गांव दुब्बल में श्मशान घाट तक की जमीन नहीं है और गांव में आने के लिए सड़क भी टूटी है।
लेकिन गांव के फकीरचंद का कहना है कि काम करे या करे जेपी हमारा नेता है। वोट उसी के बेटे को देंगे। परिवारवाद को भी वह मुद्दा नहीं मानते हैं। उचाना हलके के चौधरी बीरेंद्र सिंह के गांव में भी कई समस्याएं हैं, लेकिन यहां के बलबीर सिंह का कहना है कि कुछ भी हो वोट उन्हीं को जाएगा, क्योंकि वे
हमारे गोत्र हैं, किसी दूसरे को वोट देंगे तो गलत होगा। इसी हलके के गांव नगूरा के राम सिंह और अलेवा के पवन कुमार कहते हैं कि वह निर्दलीय वीरेंद्र सिंह को वोट देंगे, क्योंकि वह हमारे पड़ोसी गांव के हैं।