हरियाणा के CM की पत्नी सुमन सैनी बनीं चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल की उपाध्यक्ष…

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की पत्नी सुमन सैनी हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की उपाध्यक्ष बनी हैं. हालांकि यह पद सीएम की पत्नी के नाम रिर्जव रहता है मगर 10 साल से यह पद खाली था. चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल के उपाध्यक्ष की मजिट्रेट जितनी पावर होती है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की पत्नी सुमन सैनी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की पत्नी सुमन सैनी हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की उपाध्यक्ष बनी हैं. हालांकि, यह पद मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम रिर्जव रहता है, मगर 10 साल से यह पद खाली था. क्योंकि, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल अविवाहित थे। इस कारण परिषद उपाध्यक्ष पद को खाली रखा गया था.

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा की पत्नी आशा हुड्‌डा रेडक्रॉस समिति की उपाध्यक्ष और बाल कल्याण परिषद की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. यानी वह दोनों का पद संभाल चुकी हैं. आशा हुड्‌डा सक्रिय राजनीति से दूर हैं, मगर सुमन सैनी राजनीति में एक्टिव हैं.

सुमन सैनी बीजेपी महिला मोर्चा की सदस्य और हरियाणा बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी हैं. सुमन सैनी जल्द ही बाल कल्याण परिषद में पद को ग्रहण करेंगी. हरियाणा बाल कल्याण परिषद के प्रेसिडेंट राज्यपाल बंडारू दत्तारेय हैं और डॉ. सुषमा गुप्ता इसकी सेक्रेटरी हैं. हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के सदस्यों के पास मजिस्ट्रेट जैसी पॉवर होती है.

हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हैं सुमन सैनी

बता दें कि सुमन सैनी हरियाणा की राजनीति में भी सक्रिय हैं. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रचार किया था. लोकसभा चुनाव के साथ करनाल उपचुनाव में उन्होंने अपने पति नायब सिंह सैनी और करनाल लोकसभा में मनोहर लाल के लिए प्रचार किया था.

इसके बाद विधानसभा चुनाव में उन्होंने कुरुक्षेत्र की लाडवा विधानसभा और नारायणगढ़ विधानसभा में भी प्रचार किया था. वह हरियाणा में कई कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदारी करती रहती हैं. सुमन सैनी 2022 में जिला परिषद का चुनाव लड़ चुकी हैं.

मुख्यमंत्री नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्‌डा के साथ सुमन सैनी।

बाल कल्याण समिति बच्चों के अधिकारों की रक्षा करती है

बाल कल्याण समिति किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत गठित एक स्वायत्त संस्था है, जिसका उद्देश्य उन बच्चों से संबंधित शिकायतों को संभालना और उनका समाधान करना है, जो या तो त्याग दिए गए हैं, अनाथ हैं, माता-पिता ने स्वेच्छा से छोड़ दिए हैं, या खो गए हैं. इन बच्चों के विकास, सुरक्षा, उपचार, विकास और पुनर्वास से संबंधित मुद्दों पर देखभाल की जाती है.

यहां बच्चों की बुनियादी जरूरतों और सुरक्षा के लिए आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है. ऐसे बच्चों की देखभाल बाल कल्याण समिति करती है. हर जिले में इसके तहत समिति बनी हुई है।

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