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प्रदेश के मुख्यमंत्री अब केवल नायब सिंह सैनी नहीं रहे, आज से वह डॉ. नायब सिंह सैनी बन गए हैं। उन्हें मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने समाज विज्ञान क्षेत्र में डॉक्टर ऑफ लिट्रेचर (डी लिट) की उपाधि से अलंकृत किया।
इसके बाद राज्यपाल ने अपने भाषण में भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज से डॉ. नायब सिंह सैनी बन गए हैं। उन्हें यह डी लिट की उपाधि उनके सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों के लिए प्रदान की गई है।यही नहीं कुवि ने अपने 34वें दीक्षांत समारोह में एक इतिहास बनाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्रीधर सोमनाथ को भी डी लिट की उपाधि से अलंकृत किया गया। इसके साथ ही उन्हें शांति गोयल शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
उन्हें यह अवॉर्ड और उपाधि उनके अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में किए गह सराहनीय कार्यों के लिए प्रदान किए गए हैं। समारोह में 2000 स्नातकोत्तर और स्नातक विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान करने के साथ-साथ 130 को पीएचडी की उपाधि और 91 को स्वर्ण पदक व मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।
समारोह में मुख्यातिथि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि 2014 से पहले प्रदेश में ऐसा माहौल था कि युवाओं को पर्ची-खर्ची के बिना सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी। हमारी सरकार ने पारदर्शिता के साथ बिना पर्ची-बिना खर्ची युवाओं को केवल योग्यता के बल पर सरकारी नौकरियां प्रदान की हैं। पिछले 10 सालों में 1.75 लाख युवाओं को नौकरियां दी गई। अब आगे भी सरकार दाे लाख और नौकरियां देने का काम करेगी।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर समाज के बीच में जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से देश में बड़ा परिवर्तन होने वाला है। इससे नवाचार, तकनीकी, शोध, शिक्षा, संस्कार, नैतिक मूल्य से युवा पीढ़ी को एक नया मार्ग दर्शन मिलेगा।
‘संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाना होगा’
प्रदेश के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि युवा जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ें। आज हमारे सामने भारत को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाने की चुनौती है और इस चुनौती से निपटने के लिए युवाओं को संकल्प लेना होगा और संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाना होगा।आज पूरा विश्व भारत की ओर दो हाथ बढ़ा रहा है कि एक हाथ दोस्ती का है और दूसरे में खंजर है। अगर आप ने जरा भी लापरवाही बरती को खंजर घोंपने में देर नहीं लगाएगा। ऐसे में हमारे युवाओं को मजबूत रहते हुए 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प लेते हुए आगे बढ़ना है और सिद्धी तक पहुंचना है।