‘सुना है कि अब भारत…’, रूस से तेल खरीद को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने फिर किया बड़ा दावा

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इम्पोर्टर है और 2022 से अब तक वह रियायती रूसी कच्चे तेल का प्रमुख खरीदार रहा है. इसको लेकर ट्रंप ने भारत की आलोचना की थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (1 अगस्त, 2025) को भारत के रूस से तेल खरीदने पर संभावित रोक की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक अच्छा कदम बताया. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वे इस जानकारी की सच्चाई को लेकर निश्चित नहीं हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई की तरफ से पूछा गया कि क्या भारत पर कोई विशेष जुर्माना लगाया जाएगा या क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई बातचीत होने वाली है, ट्रंप ने कहा, कि मैंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. मुझे नहीं पता कि यह सही है या गलत. यह एक अच्छा कदम है. देखते हैं क्या होता है. यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की कमाई को सीमित करने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय दबाव बना रहा है.

रूस से तेल खरीदने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है भारत 

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इम्पोर्टर है और 2022 से अब तक वह रियायती रूसी कच्चे तेल का प्रमुख खरीदार रहा है. वहीं हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सरकारी रिफाइनरियों ने घटती छूट और लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण रूस से तेल खरीद को अस्थायी रूप से रोक दिया है. भारत सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. अमेरिका इस व्यापार को जियोपॉलिटिकल नजरिए से गलत मानता है और चाहता है कि भारत रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद बंद करे.

अमेरिका ने भारत पर लगाया है 25 फीसदी टैरिफ

हाल ही में अमेरिका ने ऐलान किया है कि वो भारत से सभी निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाएगा. रूस से ऊर्जा व्यापार जारी रखने पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. ट्रंप ने पिछले सप्ताह अपनी ट्रुथ सोशल पोस्ट में भारत की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत रूस से ऊर्जा और सैन्य उपकरण खरीदता है और अमेरिकी उत्पादों पर काफी ज्यादा टैरिफ लगाता है, जिसकी वजह से कारोबार में काफी दिक्कतें आती हैं.  

ट्रंप के बयान पर क्या बोला भारत?

भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत और रूस के बीच एक स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है. भारत-अमेरिका संबंध साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जन-जन संबंधों पर आधारित है. भारत ने साफ किया कि वह  दोनों देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है और अपने रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा.

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