
समरावता थप्पड़ कांड़ के बाद हुई हिंसा में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दोषी ठहराया। इसके बाद मंगलवार को राज्य सरकार ने गांव में हुई हिंसा के प्रभावितों के लिए मुआवजे का ऐलान कर दिया है।
समरावता हिंसा मामले में राज्य सरकार पीड़ितों को कुल 30 लाख 95 हजार रुपए का आर्थिक मुआवजा देगी। गृह विभाग ने इसके लिए पीड़ितों की सूची जारी कर दी है। घटना में घायल हुए 7 लोगों को 1-1 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। वहीं, हिंसा के दौरान जले 39 दुपहिया वाहनों के लिए प्रत्येक वाहन स्वामी को 30-30 हजार रुपए दिए जाएंगे।
इसके अलावा 10 चौपहिया वाहन और 6 अचल संपत्तियां भी आगजनी की भेंट चढ़ गई थीं। चौपहिया वाहनों के लिए प्रति वाहन 1 लाख रुपए, जबकि अचल संपत्ति के लिए तीन पीड़ितों को 50-50 हजार रुपए और शेष तीन को 25-25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि 13 नवंबर 2024 को हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में पुलिस और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थकों के बीच जबरदस्त झड़प हुई थी। यह विवाद उस वक्त भड़क गया जब नरेश मीणा ने मतदान पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया।
इस घटना के विरोध में आरएएस एसोसिएशन ने पेन डाउन हड़ताल करते हुए नरेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद प्रशासन ने समरावता में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। पुलिस की कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों और समर्थकों से तीखी भिड़ंत, आगजनी और गोलीबारी हुई। नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों ने ही उनके घरों और वाहनों में आग लगा दी थी।