
विंग कमांडर व्योमिका सिंह के स्कूल टीचर उनके शांत स्वभाग और दृढ़ संकल्प को लेकर याद करते हैं. टीचर्स का कहना है कि व्योमिका सिंह आसमान को छूने की काबिलियत रखती हैं.
विंग कमांडर व्योमिका सिंह आज अपने देश की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने को तैयार हैं और पाकिस्तान को ललकार रही हैं. भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच व्योमिका सिंह देश की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं. ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के बाद से चर्चा में आईं व्योमिका सिंह को देखकर वह हर व्यक्ति खुश है, जिन्होंने उन्हें करीब से देखा और जाना है. इनमें से एक हैं व्योमिका सिंह की स्कूल टीचर नीलम वासन.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सेंट एंथनीज़ स्कूल में टीचर नीलम वासन बताती हैं कि व्योमिका अपने स्कूल के आखिरी दिन, यानी अपने फेयरवेल पर एक डायरी लेकर आई थी, जिसमें टीचर्स और अपने दोस्तों से आखिरी संदेश लिखवा रही थी. स्कूल का हर बच्चा फेयरवेल पर ऐसा ही करता है, यह कोई नई बात नहीं है. लेकिन खास बात यह थी कि हिन्दी टीचर नीलम वासन ने डायरी में जो लिखा, व्योमिका ने वह कर के दिखाया.
‘व्योम को छूने के लिए ही बनी हैं व्योमिका’
‘व्योमिका, तुम व्योम को छूने के लिए बनी हो’, नीलम वासन ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी होनहार स्टूडेंट उनका आखिरी संदेश, अपना आखिरी सपना बना लेगी और उसे साकार कर के रहेगी. व्योमिका अपने नाम की ही तरह सच में ‘आकाश की बेटी’ बन गईं और आज इंडियन एयरफोर्स में विंग कमांडर की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रही हैं.
व्योमिका भारतीय सेना की उस टीम का हिस्सा हैं, जिसने 26 महिलाओं के सिंदूर का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ लॉन्च किया और 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया. इस सफलता की जानकारी व्योमिका सिंह ने देश के 140 करोड़ लोगों के सामने खड़े होकर पूरे गर्व से दी.
पढ़ाई स्पोर्ट डिबेट… सबमें अच्छी रही हैं व्योमिका
व्योमिका सिंह ने साल 1998 में सेंट एंथनीज़ से ग्रेजुएट किया और इसके बाद दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरंग से एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग की डिग्री ली. क्लास 11 और 12 में व्योमिका को इंग्लिश पढ़ाने वालीं टीचर ज्योति बिष्ट ने बताया कि व्योमिका हमेशा से ही इंग्लिश और हिंदी में बहुत अच्छी थीं. पढ़ाई के अलावा व्योमिका को बास्केटबॉल का भी शौक था. वह स्कूल के डिबेट कंपटीशन में भी हिस्सा लेती रहती थीं. इतने साल बाद जब हमने उनको टीवी पर देश के लिए समर्पित एक जवान के रूप में देखा, हमें व्योमिका पर बहुत गर्व है.
व्योमिका की बचपन की एक दोस्त ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि साल 2013 तक कोई नहीं जानता था कि उनके क्लासमेट क्या कर रहे हैं. 2013 में जब सब व्हॉट्सएप ग्रुप पर जुड़े तो पता चला कि व्योमिका एयर फोर्स में हैं. यह जानकर सभी को उनपर गर्व हुआ. उस समय में डिफेंस में बहुत कम ही महिलाएं जाती थीं. व्योमिका को भी अपने परिवार वालों को मनाने में समय लगा होगा, लेकिन उन्होंने यह हिम्मत दिखाई. यह प्रेरणादायक है.