
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना की न सिर्फ राशि बढ़ाई है, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक दांव चलकर अपने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया है। इस दांव ने मुख्यमंत्री की छवि में चार चांद लगा दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के ऐसे राजनेताओं में शुमार हैं, जो राजनीति में अपने मास्टर स्ट्रोक के लिए जाने जाते हैं। उन्हें यूं ही राजनीति का चाणक्य नहीं कहा जाता। वो नौवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। हर बार विधानसभा चुनाव में वो ऐसा कुछ कर जाते हैं, जो बिहार की सियासत के गलियारे में भूचाल ला देती है।
पक्ष-विपक्ष कहिए या फिर हरदम साये की तरह साथ रहने वाले उनके सहयोगियों को भी उनकी चाल का पता नहीं रहता। वे कब, कौन-सा दांव खेल जाएंगे? यह केवल उन्हें ही पता रहता है।
हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक दांव खेला है। विपक्षी पार्टियां इसपर खूब हो-हल्ला कर रही हैं। उनके नेताओं का कहना है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसा किया है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में बदलाव
बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक-एक कर अपने तुरुप के पत्ते निकालते जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से मिलने वाली पेंशन राशि को ढाई गुना से अधिक बढ़ा दी है। अब सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत सभी वृद्धजनों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाओं को हर महीने 400 रुपए की जगह 1100 रुपए पेंशन राशि मिलेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना की न सिर्फ राशि बढ़ाई है, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक दांव चलकर अपने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया है। इस दांव ने मुख्यमंत्री की छवि में चार चांद लगा दिया है। सरकारी कर्मियों को छोड़कर यह योजना सीधे तौर पर बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाओं को साधती है, जो बिहार का एक बड़ा मतदाता वर्ग है।
इस योजना से मुख्यमंत्री को अपने सामाजिक न्याय और कल्याण की छवि को और अधिक मजबूत करने का मौका मिलेगा। साथ ही, इससे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी फायदा होगा। चुनाव के समय प्रचार के दौरान विपक्षी दलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनेगा।
400 रुपए की जगह अब हर महीने 1100 रुपए मिलने से लाभार्थियों को जरूरत के सामानों को खरीदने में आसानी होगी। उन्हें रोजमर्रा के सामान को खरीदने के लिए किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। उनके जीवन स्तर में काफी सुधार होगा। इस योजना से एक बड़ी आबादी को फायदा होगा, जिससे सत्ता पक्ष को वोटबैंक की राजनीति में मदद मिल सकती है।
कई वर्गों पर इस दांव का सीधा असर
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत बढ़ी हुई पेंशन राशि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तरकश से निकला हुआ वह तीर है, जो ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाओं को सीधे साधता है, जो बिहार का एक बड़ा मतदाता वर्ग है। 1100 रुपए की बढ़ी हुई पेंशन राशि से बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।
अगर एक ही घर में इस योजना के कम-से-कम दो लाभार्थी भी हैं तो महीने में उनके यहां 1100-1100 यानी 2200 रुपए मिलेंगे। पेंशन बढ़ोतरी से इस योजना के लाभार्थियों को महंगाई में बड़ी मदद मिलेगी, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में आसानी होगी।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत बढ़ी हुई राशि देने की मंजूरी कैबिनेट से मिल गई है। अगले महीने यानी जुलाई से इस योजना के लाभार्थियों को बढ़ी हुई पेंशन राशि मिलने लगेगी।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। आगामी अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव की संभावना है और जुलाई से इस योजना के लागू होने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर लाभ मिल सकता है।
दरअसल, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में महिलाएं गेम चेंजर साबित हुई थीं। उन्होंने पासा पलट दिया था। यही कारण है कि राजनीतिक दलों का फोकस महिला वोटरों पर चला गया है, जिन्हें साइलेंट वोटर भी कहा जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी राजनीति के इस दांव से भली-भांति परिचित हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विद्यार्थी जीवन से लेकर राजनीतिक क्षेत्र तक एक इंजीनियर की तार्किक सोच और सामाजिक कार्यकर्ता की संवेदनशीलता को मिलाकर बिहार में व्यापक परिवर्तन लाने का काम किया है। उन्होंने कानून-व्यवस्था, शिक्षा, सड़क निर्माण और महिला सशक्तीकरण में ठोस योगदान किया।
उनकी राजनीतिक सूझबूझ ने उन्हें एक रणनीतिक नेता बनने में मदद की है। यही कारण है कि पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यू) बिहार में एक ऐसी शक्ति बनी हुई है, जिसके बिना न तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बना सकती है और न ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद), यही कारण है कि सीटें किसी भी पार्टी की ज्यादा हों, मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को ही मिलती है।
पिछले चुनाव में राजद के नेतृत्व में महागठबंधन और एनडीए के बीच बेहद कड़ा मुकाबला हुआ था। बहुमत से कुछ ही सीटें ज्यादा लेकर नीतीश मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन इस बार वो कोई भी गुंजाइश छोड़ना नहीं चाहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महिलाओं को भत्ता और पेंशन दांव विपक्ष के महागठबंधन को निश्चित रूप से परेशान करने वाला है।