
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों गोरखपुर के दौरे पर हैं। जहां बुधवार को उन्होंने एक दिन में प्रदेश भर में 37 करोड़ से अधिक पौधों को लगाने के महा अभियान में शामिल होकर एक संदेश दिया। शाम 6:00 बजे लक्ष्य पूरा होते ही प्रदेश की योगी सरकार ने एक इतिहास रच दिया।
मुख्यमंत्री ने सफलता के लिए देशवासियों को धन्यवाद दिया, तो वहीं गुरुवार को वह गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ ही गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर की दोहरी भूमिका का निर्वहन करते हुए गुरु शिष्य परंपरा को एक नई धार देंगे। जहां शिष्य अपने गुरु के चरणों में नतमस्तक हो आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, वहीं गुरु भी अपने शिष्य के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद देंगे। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक दिन में प्रदेश भर में 37.21 करोड़ पौधारोपण के विशिष्ट महाभियान में शामिल होकर तीन स्थानों पर खुद पौधरोपण किया, शाम 6:00 बजे तक यह लक्ष्य पूरा कर लिया गया था।
सपा पर हमलावर हुए योगी
आंकड़ों के अनुसार यह अब तक का सबसे बड़ा पौधा रोपण है। जिसे एक दिन में पूरा किया गया और अब इतिहास में दर्ज हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाने वाले विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी पर आक्रामक रहे। उन्होंने पूर्व की सपा सरकार के कार्यकाल की कुछ योजनाओं के आंकड़ों को बताकर पोल खोली। मुख्यमंत्री ने सपा सरकार को घेरते हुए उनके कार्यकाल में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के टेंडर और जेपीएनआईसी से जुड़े आकंड़ों और भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए सीधा हमला बोला।
मुख्यमंत्री ने बिना किसी नेता का नाम लिए कहा कि लूट और भ्रष्टाचार उजागर होने से ‘बबुआ’ बौखला गए हैं। उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा क्योंकि अब उनके मनमाफिक कुछ भी नहीं होता।
गोरखनाथ मंदिर में चल रहा श्री राम कथा
गोरखनाथ मंदिर में चल रहे श्री राम कथा में शामिल होकर कथा का श्रवण किया। मुख्यमंत्री आज गुरु पूर्णिमा के विशेष पर्व पर अपनी दोहरी भूमिका में भी नजर आएंगे। जब वह मुख्यमंत्री के अलावा गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर की भूमिका में दिखाई देंगे, जहां सर्वप्रथम वह एक शिष्य के रूप में अपने गुरुओं की पूजा अर्चना करेंगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात गुरु के रूप में वह अपने शिष्यों को तिलक लगाकर आशीर्वाद देंगे, तो वही शिष्य भी गुरु के चरणों में नतमस्तक हो आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। गुरु शिष्य की की यह परंपरा गोरक्षपीठ में बरसों से चली आ रही है।