
UP News: यूपी पुलिस मंथन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीट पुलिसिंग, महिला सुरक्षा, थाना प्रबंधन सहित कई मुद्दों पर निर्देश दिए. गांव से लेकर तकनीक तक सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने पर जोर दिया.
उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था, पुलिसिंग और न्यायिक प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए पुलिस मंथन प्रोग्राम आयोजित हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस और प्रशासन को सख्त निर्देश दिए. उनके संबोधन में गांव की सुरक्षा से लेकर महिला-बाल संरक्षण, थाना प्रबंधन, साइबर अपराध, पुलिस प्रशिक्षण, अभियोजन, कारागार सुधार और फॉरेंसिक तक हर पहलू शामिल रहा. सीएम ने साफ कहा कि जनता का भरोसा ही पुलिस की सबसे बड़ी ताकत है और इसे जमीन पर मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है.
गांव की सुरक्षा को मिले नई धार
बीट पुलिसिंग के समापन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात चौकीदारों को पुलिस बीट व्यवस्था से प्रभावी ढंग से जोड़ा जाए. चौकीदार गांव की सामाजिक संरचना और स्थानीय हालात से भली-भांति जानते हैं. उनकी सक्रिय भागीदारी से अपराध की रोकथाम, समय पर सूचना और त्वरित कार्रवाई संभव होगी.
सीएम ने बीट पुलिस के आरक्षियों और दारोगाओं को निर्देश दिया कि वे गांवों में नियमित संवाद, जनसंपर्क और भरोसे का माहौल बनाएं, ताकि कानून-व्यवस्था जमीनी स्तर पर मजबूत हो.
मिशन शक्ति पर खास जोर
महिला, बाल सुरक्षा और मानव तस्करी से मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन शक्ति केवल पुलिस का कार्यक्रम नहीं, बल्कि सभी विभागों के प्रयासों का परिणाम है. महिला सुरक्षा को दो स्तरों आंतरिक और बाहरी पर मजबूत करना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि परिवार और समाज में ऐसा वातावरण बने जहां महिलाएं बिना डर अपनी बात रख सकें, वहीं सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और कार्यस्थलों पर एंटी रोमियो स्क्वॉड और महिला बीट पुलिस की सशक्त मौजूदगी हो.
महिला बीट पुलिस को स्थानीय स्तर पर संवादात्मक बैठकों और टोल-फ्री हेल्पलाइन के व्यापक प्रचार के निर्देश दिए गए. साथ ही महिला पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण पर जोर देते हुए सीएम ने कहा कि आज यूपी में महिलाएं खुद को अधिक सुरक्षित महसूस कर रही हैं, जो पुलिस की बड़ी उपलब्धि है.
थाना प्रबंधन पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि थाने पुलिसिंग सिस्टम की रीढ़ हैं. थाना प्रभारियों की तैनाती केवल मेरिट के आधार पर होनी चाहिए और राजनीतिक हस्तक्षेप न्यूनतम रखा जाए. उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था जरूरत के अनुसार हो, न कि स्टेटस सिंबल के रूप में.
संरचना सुधार के तहत करीब 50 हजार पुलिसकर्मियों को थानों में तैनात करने, शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग आधुनिक थाना मॉडल, पार्किंग, बैरक और पब्लिक सर्विस स्पेस विकसित करने की जरूरत बताई.
सीएम ने पुलिस व्यवहार सुधार को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए नियमित काउंसलिंग, बीट सिस्टम की निगरानी और इसे ACR से जोड़ने की बात कही, ताकि जवाबदेही तय हो सके.
साइबर अपराध को लेकर जागरूकता जरूरी
साइबर अपराध मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेन-देन से सुविधा बढ़ी है, लेकिन फर्जी कॉल, ओटीपी और अकाउंट डिटेल मांगने जैसी ठगी भी बढ़ी है. इसे रोकने के लिए बीसी सखी, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट, बीट पुलिस और महिला बीट के साथ मिलकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए.
उन्होंने बताया कि राज्य में साइबर हेल्प डेस्क 2 से बढ़कर 75 हो चुकी हैं और 1930 हेल्पलाइन का विस्तार किया गया है, लेकिन इसकी कार्यक्षमता और मजबूत करनी होगी. भविष्य में साइबर मुख्यालय की स्थापना और क्विक रिस्पांस पर जोर दिया गया.
मानव संसाधन विकास और प्रशिक्षण को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक पुलिस प्रशिक्षण क्षमता सीमित थी, जिसे बढ़ाकर अब लगभग 60 हजार कर दिया गया है. यह दस गुना से अधिक वृद्धि है. उन्होंने निर्देश दिया कि पुलिस लाइन को केवल प्रशासनिक इकाई न मानकर जन-जागरूकता केंद्र के रूप में विकसित किया जाए.
पुलिस म्यूजियम, ट्रैफिक पार्क, साइबर सुविधाएं और बच्चों के लिए शैक्षिक संसाधन विकसित हों. पदोन्नति में गुणवत्ता को प्राथमिकता देने और अब तक 1.55 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों को पदोन्नति मिलने का जिक्र भी किया गया. वामा सारथी के कार्यों की सराहना करते हुए इसे और तेज करने के निर्देश दिए गए.
अभियोजन और कारागार सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को सही बनाने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन जरूरी है. कारागार में निरुद्ध बुजुर्गों, महिलाओं और गंभीर बीमार कैदियों के मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए गए.
वहीं, माफिया और संगठित अपराधियों पर सख्त निगरानी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पर जोर दिया गया. उन्होंने जेल में तैयार उत्पादों को बाजार से जोड़ने की बात कही, ताकि बंदी आत्मनिर्भर बन सकें.
CCTNS 2.0 और फॉरेंसिक पर सख्त कानून का असर
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता और फॉरेंसिक साक्ष्यों के प्रभावी उपयोग से अब संगठित अपराधियों पर निर्णायक कार्रवाई संभव हो पाई है. फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, हर जिले में एक्सपर्ट उपलब्ध कराने और वाराणसी में विकसित हो रहे बड़े फॉरेंसिक केंद्र को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए.


