
गांवों में रहने वाले गरीबों के पक्के मकान का सपना पूरा करना अब आसान नहीं होगा. मुख्यमंत्री आवास योजना में कोई भी अपात्र व्यक्ति गलत तरीके से सेंध लगाकर आवास नहीं पा सकेगा. आवास पाने वालों को कई स्तर की जांच से गुजरना पड़ेगा. इसमें खरा उतरने के बाद ही उन्हें आवास मिल सकेगा. प्रदेश में लगातार फर्जी तरीके से आवास हासिल करने की शिकायतें मिलने के बाद शासन ने यह कठोर कदम उठाया है. झांसी में पहले चरण का सत्यापन शुरू भी कर दिया गया है.
सेल्फ सर्वे से होगी शुरुआत
इस साल जिले के 76 हजार परिवारों का चयन आवास के लिए किया गया है. इसमें से 42,099 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने सेल्फ सर्वे के माध्यम से आवेदन किए हैं, जबकि बाकी को सर्वेयर ने चुना है. परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण राजेश कुमार ने बताया कि ग्राम स्तरीय अधिकारी या प्रधान कई पात्र व्यक्तियों के नाम की सिफारिश आवास के लिए नहीं करते थे. वहीं पक्के मकान वाले, चार पहिया वाहन वाले, नौकरी करने वाले, आयकरदाता मकान पाने में सफल हो रहे थे. इस कारण शासन ने पात्र परिवारों को सेल्फ सर्वे कर आवेदन करने की सुविधा दी है
तीन स्तर पर होगी जांच
सेल्फ सर्वे करने वाले आवेदकों का सर्वेयरों के माध्यम से सत्यापन शुरु करा दिया गया है. उनकी रिपोर्ट आने के बाद पात्र पाए गए आवेदकों में से 10 प्रतिशत का सर्वे चेकर के माध्यम से होगा. इसमें पात्र पाए गए परिवारों में से 2 प्रतिशत का डेटा खण्ड विकास अधिकारी एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी जांचेंगे. इनकी रिपोर्ट आने के बाद 2 प्रतिशत परिवारों की जांच जिला स्तरीय अधिकारी करेंगे. इसके बाद पात्रों की सूची फाइनल कर शासन को भेजा जाएगा
इन योजनाओं में भी होता है फर्जीवाडा
गौरतलब है कि, कई सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा के मामले आते रहते हैं. केंद्र और राज्य सरकार की निशुल्क राशन योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और मनरेगा में फर्जीवाडे के मामले सामने आते हैं. इन पर समय समय पर कार्रवाई भी होती है