केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कवि-संत मीराबाई पर बयान को लेकर हुए विवाद के बाद माफी मांग ली है। उन्होंने कहा- मीराबाई के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान है और अगर उनके शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है तो वह खेद व्यक्त करते हैं और माफी मांगते हैं।
मेघवाल ने आगे कहा, भक्ति के शिखर पर विराजमान भक्त शिरोमणि मां मीरा के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा और आस्था है। अगर मेरे किसी भी शब्द से किसी भी तरह से मां मीरा के प्रति भक्ति और श्रद्धा रखने वाले भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। मेघवाल ने ये भी कहा, वह मीरा के भजन गाते हैं और कभी उनका अपमान नहीं कर सकते, क्योंकि वह उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
क्या था मेघवाल का बयान?
हाल ही में सीकर में एक कार्यक्रम के दौरान मेघवाल ने कहा था, मीराबाई अपने पति से नहीं बल्कि अपने जीजा से परेशान थीं, जो उनके पति की मौत के बाद उनसे शादी करना चाहता था। उन्होंने कहा था, ‘मीरा के पति की मृत्यु होने के बाद उनके देवर शासक बने। उन्होंने मीरा से कहा कि मुझसे शादी कर लो, तो यहां से झगड़ा शुरू हुआ। उन्हें तंग करने वाला उनका देवर था। इतिहास में कुछ चीजें अलग तरीके से लिखी होती हैं।’
अर्जुन राम मेघवाल की इस बयान को लेकर जमकर आलोचना हुई। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी मेघवाल की टिप्पणी की आलोचना करते हुए इसे अपमानजनक बताया। 16वीं सदी की रहस्यवादी कवयित्री और कृष्ण भक्त मीराबाई का जन्म 1498 ई. में मेड़ता के शासक राव रतन सिंह के यहां ‘कुर्की’ गांव में हुआ था। मेड़ता राजस्थान के नागौर जिले के अंतर्गत आता है।